इस साल शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से शूरू हो चुकी है । इन नवरात्रों के पाछे एक पौराणिक कथा हैं, आइए जानते हैं क्या है वो कथा । शारदीय नवरात्रि की पौराणिक कथा के हिसाब से एक समय एक असूर जिसका नाम था महिषासुर उसने देवलोक पर अपनाा अधिपत्य कर लिया था। वह सभी देवताओं का अंत करने की इच्छा रखता था। महिषासुर को भैंसा दानव भी कहा जाता था। महिषासुर तीनों लोकों पर अपना कब्ज़ा करना चाहता था। किसी भी देवता में इतनी ताकत नहीं थी की उसका सामना कर सकें। इसलिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास इस समस्या के समाधान के लिए गए। सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से यह प्रार्थना कि के वह इस समस्या का कोई समाधान उन्हें बताएं।
इसके बाद सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करके देवी दुर्गा का निर्माण किया। माँ दुर्गा की उत्पत्ति सभी देवताओं की शक्तियों से ही कि जा सकती थी और वह ही महिषासुर का अंत कर सकती थी। माँ दुर्गा का निर्माण हुआ, माँ दुर्गा का रूप अत्यंत ही सुंदर और मोहक था।
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माँ के मुख से करुणा, दया, सौम्यता और स्नेह झलकती थी। मां की दस भुजाएं थी और सभी भुजाओं में अलग- अलग अस्त्र सुशोभित थे। सभी देवताओं की और से उन्हें अस्त्र प्राप्त थे। भगवान शिव ने त्रिशुल, भगवान विष्णु ने चक्र, भगवान वायु ने तीर आदि दिए थें।
जिससे वह पापियों का अंत कर सकें और धरती पर पुन: धर्म की स्थापना कर सकें। माँ दुर्गा शेर की सवारी करती हैं। यह शेर हिमावंत पर्वत से लाया गया था। महिषासुर को यह वरदान था कि वह किसी कुंवारी कन्या के हाथों ही मरेगा। जिस समय माँ महिषासुर के सामने गई। वह माँ के रूप पर अत्यंत मोहित हो गया और माँ को अपने आधीन आने के लिए कहा। माँ को उसकी इस बात पर अत्यंत क्रोध आया और माँ ने उसका वध कर दिया। माँ ने अपने शास्त्रों का प्रयोग करके उसे मार डाला । माँ के शेर ने भी उसके शरीर का रक्तपान किया। इसी वजह से हर साल नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है ।
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नवरात्रि से जुड़ी यह कुछ ख़ास बातें नहीं जानतें होंगे आप !