वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर बनाना शुभ माना गया हैं। प्राचीन काल से ही वास्तु शास्त्र को महत्वपूर्ण माना गया हैं । इसके अनुसार बनाये घर में हमेशा ख़ुशनुमा माहौल रहता हैं । वास्तु शास्त्र बताता है की घर का निर्माण कैसा होना चाहिए । घर बनाते वक़्त हमेशा वास्तु का ध्यान देना चाहिए । इससे वास्तु दोष भी उत्पन्न नहीं होतें।
वास्तु के अनुसार घर बनाने में दिशाओं के ध्यान बहुत महत्वपूर्ण होता हैं । इससे घर के कोण दिशाओं के अनुसार बनते हैं , यह घर मे सकारात्मक ऊर्जा लाता हैं। ज़्यादातर लोगों को चार दिशाओं का ज्ञान होता है, लेकिन पुराणों में 10 दिशाओं का वर्णन किया गया है। हालाँकि, वास्तु के हिसाब से 8 दिशाओं को बहुत महत्त्वपूर्ण बताया गया है । आइए इन आठों दिशाओं का अलग-अलग महत्व समझते है ।
पूर्व दिशा
इस दिशा से रोज सूर्योदय होता है इसलिए इस दिशा के राजा भगवान इंद्र को माना जाता है।
पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा में सूर्य अस्त होते हैं इसलिए इस दिशा के राजा वरुण देव को माना जाता है।
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा के राजा धन के देवता कुबेर को माना गया हैं।
दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा का राजा यम देवता को माना गया है।
उत्तर पूर्व दिशा
उत्तर पूर्व दिशा को 'ईशान कोण' कहा जाता है, और इस दिशा के राजा स्वयं भगवान शिव हैं।
उत्तर पश्चिम दिशा
यह दिशा उत्तर और पश्चिम दिशा के कोण से बनी होती है, इसलिए इसे 'वायव्य कोण' भी कहा जाता है और इस दिशा का राजा पवन देव को माना गया है।
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दक्षिण पश्चिम दिशा
दक्षिण दिशा को 'नेत्रत्य दिशा' भी कहा जाता है और यह दिशा दक्षिण और पश्चिम के कोण पर बनती है।
दक्षिण पूर्व दिशा
इसे 'आग्नेय कोण' कहते हैं और इस दिशा के देवता अग्नि देव को माना गया है।
इसके अलावा भी दो दिशाएं मानी गई हैं, जिसमें आकाश और पाताल शामिल हैं। आकाश के देवता ब्रह्मा जी हैं और पाताल का देवता शेषनाग को माना गया है।
अगर घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष नजर आ रहा है या फिर कोई भवन का निर्माण कर रहे हैं तो वास्तु-शास्त्र में वर्णित इन आठों दिशाओं का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।
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