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Home ›   Blogs Hindi ›   Navaratri 2020 : Mahagauri pooja eight day significance

नवदुर्गा का आठवां स्वरुप है देवी माँ महागौरी, इनके पूजन से प्राप्त होता है सुखद वैवाहिक जीवन !

Myjyotish Expert Updated 23 Oct 2020 06:19 PM IST
Navaratri
Navaratri - फोटो : Myjyotish
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दुर्गा माता के आठवें स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना जाता है । इनका वर्ण पूरा गौर है ।  "अष्ट वर्षा भवेद गौरी" के द्वारा महागौरी की आयु 8 वर्ष बताई गई है। महागौरी माता की चार भुजाएं हैं । महागौरी देवी का वाहन वृषभ है । महागौरी के ऊपर वाले दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है । उनके ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरु और नीचे के बाएं हाथ में वर मुद्रा है। महागौरी की मुद्रा अत्यंत ही शांत मानी जाती है ।

 शिव जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मां गौरी जब पार्वती रूप में थी तो उन्होंने बड़ी कठोर तपस्या की थी। पार्वती जी के कठोर तपस्या के कारण उनके शरीर का रंग एकदम काला हो गया था। इनकी तपस्या को देख कर शिवजी बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने उनके शरीर को गंगाजल के पवित्र जल से विद्युत प्रभा के समान अत्यंत गौर कर दिया । इसी वजह से इन्हें महागौरी बुलाया जाता है ।

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 नवरात्रों  में आठवें दिन पर महागौरी की पूजा आराधना की जाती है । महागौरी की उपासना करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। महागौरी की उपासना करने से भविष्य में पाप,  परेशानी, दुख व्यक्ति के पास कभी नहीं आते हैं । महागौरी की कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। महागौरी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और सुख समृद्धि से जीवन व्यतीत होता है।

महागौरी की पूजा विधि:
1: नवरात्रि के आठवें दिन मां गौरी माता की पूजा की जाती है इसलिए उस दिन सुबह उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
2: उसके बाद अपने घर के मंदिर में एक चौकी रखें जिस पर महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें ।
3: उसके बाद माता की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
4:उसके बाद माता के आगे दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें और उनसे प्रार्थना करें कि वह आपके सभी दुखों को हर ले।
5:अगर आपके घर अष्टमी पूजी जाती है तो आप पूजा के बाद कन्याओं को भोजन भी करा सकते हैं। यह शुभ फल देने वाला माना गया है।

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