मासिक शिवरात्रि हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से महावरदान प्राप्त किया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन आधी रात को शिवलिंग के रूप में भगवान उत्पन्न हुए थे। शिवलिंग के रूर में प्रकट होने के बाद सबसे पहले उनकी पूजा ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने की थी। हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। मासिक शिवरात्रि, शिव और शक्ति के संगम का एक पर्व है।
भगवान शंकर देवों के देव हैं इसीलिए शायद उन्हें महादेव कहा जाता है। उनकी पूजा करने से जन्म-जन्मांतर की बाधाएं स्वंय ही समाप्त हो जाती हैं। उनके पूजा करने का दिन ‘शिवरात्रि’ से बेहतर और कोई नहीं हो सकता। इस महीने में ‘मासिक शिवरात्रि’ 8 जून,2021 दिन मंगलवार को पड़ रही है।
इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन भगवान शंकर के साथ-साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है और ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि शिव और शक्ति दोनों एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं, आइए जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त और महत्व।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त-
हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का शुभारंभ 8 जून,2021 को 1 बजकर 24 मिनट से हो रहा है और यह 9 जून,2021 के दिन बुधवार को दोपहर 3 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगा। इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए आपको कुल 40 मिनट का समय ही प्राप्त होगा। आप 8 जून को रात 12 बजे से लेकर 12 बजकर 40 मिनट तक ही पूजा-पाठ कर सकते हैं।
मासिक शिवरात्रि महत्व-
‘मासिक शिवरात्रि’ का हिंदू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस शुभ दिन माता पार्वती और भगवान शंकर परिणय सूत्र में बंधे थे और इसी दिन भगवान शिव ने साकार रूप भी धारण किया था। ‘मासिक शिवरात्रि’ भगवान शंकर और माता पार्वती के महामिलन के दिन के तौर पर भी जाना जाता है। और यही वह कारण है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर दोनों की पूजा एक साथ की जाती है। इस खास दिन भक्त लोग भगवान भोले शंकर और माता पार्वती दोनों की पूजा करते हैं तो इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पूजा करने से भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। इस दिन पूजा करना भक्तों के लिए सबसे प्रभावशाली हो सकता है। अगर आप इस दिन भगवान शंकर की पूजा करते हैं तो उन पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है।
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इस पवित्र दिन अगर कुंवारी लड़कियां भगवान शंकर का व्रत रखती हैं तो उन्हें अपने जीवनसाथी के रूप में मनवांछित वर की प्राप्ति होती है, क्योंकि ये दिन व्रत के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा अगर किसी के विवाह में भी देरी हो रही है तो व्रत करने से उसका भी समाधान होता है। इस व्रत को करने से पति-पत्नी का जीवन सुखमय और आनंदमय होता है और जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं स्वंय ही समाप्त हो जाती हैं।
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