myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Mahakumbh shahi snan significance special dates

कुंभ में शाही स्नान को सबसे ख़ास क्यों माना गया हैं, जानिए इसका महत्व

Myjyotish Expert Updated 23 Mar 2021 09:57 AM IST
Mahakumbh
Mahakumbh - फोटो : Myjyotish
विज्ञापन
विज्ञापन

दुनिया भर के सबसे बड़े धार्मिक समारोह में कुम्भ मेला का सबसे बड़ा महत्व होता है और इसे लोग बड़े ही श्रद्धा से मनाते हैं।  इस साल इसका आयोजन हरिद्वार में किया गया है। यहां पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए भिन्न भागों से श्रद्धालु आते हैं। कुम्भ आध्यात्मिक और संस्कृति का संगम है और आस्था है कि सभी के विचार इस कुम्भ में समाकर अमर हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार जब देव और दानव के बीच समुद्र  मंथन हुआ था तब अमृत की कुछ बुँदे यहां जा गिरी थी। तभी से महाकुंभ में स्नान करना सबसे पवित्र माना जाता है। कुम्भ मेला में 6 प्रमुख स्नान और 4 शाही स्नान होता है। हिन्दू धर्म में शाही स्नान का सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।  

कुम्भ मेला का आयोजन 12 साल के अंतराल में हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयाग जैसे चार जगहों पर इसका आयोजन होता है। माना जाता है कि पौराणिक समय में जब देव और दानव के बीच अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन चल रहा था, उस दौरान भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और अमृत लेकर वह स्वर्ग के रास्ते चलने लगे I

होली के दिन, किए-कराए बुरी नजर आदि से मुक्ति के लिए कराएं कोलकाता में कालीघाट स्थित काली मंदिर में पूजा - 28 मार्च 2021

जाते समय उस रास्ते में अमृत की कुछ बूंदे इन चार जगहों के धरती पर गिर गई थी और इसलिए माना जाता है कि यहां के पवित्र नदी में डुबकी लगाने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।  

हिन्दू पौराणकि कथाओं के अनुसार, कुम्भ मेला में शाही स्नान बहुत ही शुभ माना जाता है। पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि के दिन आयोजित हुआ था।  इसमें सबसे पहले अखाड़े स्नान करते हैं , इसमें सबसे पहले साधु संत  ही स्नान करते हैं। इसके बाद आम लोगों की इजाजत दी जाती हैं।  शाही स्नान से पहले साधु संत  प्रदर्शन करते हैं।  गृह नक्षत्र की वजह से जो कुम्भ 12 साल के अंतराल आयोजित होता था, वह इस साल 11 साल के अंतराल ही आयोजित किया गया है।  यही कारण है कि इस साल हरिद्वार में हो रहे कुंभ बेहद ख़ास माना जा रहा है।  शाही स्नान का प्रचलन 14वीं - 16वीं सदी के बीच यानी मुग़ल शासकों के दौरान शुरू हुआ था। अंग्रेजों के समय की यह प्रचलन चलता रहा और यही एक बड़ा धार्मिक समारोह में शामिल हो गया ।

ये भी पढ़ें : -

जानें होली में राशि के अनुसार कैसे करें उपाय होगी परेशानी दूर

अपनी राशि के अनुसार जानें कैसे करें होलिका पूजन

क्या है लड्डू और लठमार होली ? जानें किस दिन होगी कौन सी होली ?


  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X