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महादेव के जलाभिषेक से होती है सर्व सुख की प्राप्ति

MyJyotish Expert Updated 14 May 2020 07:14 PM IST
Mahadev's Jalabhishek gives all happiness
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शिव या महादेव आरण्य शक्ति हैं जो विस्तृत रूप से शिव धर्म के नाम से भी जाने जाते हैं। पौराणिक कथनो एवं मान्यताओं के अनुसार उनकी आकृति सौम्य - कोमल एवं रौद्र या विकराल रूप में की गयी है। वह स्वभाव से भोले हैं तथा भक्तों की इच्छाओं को सरलता से पूर्ण करते हैं जिसके कारण उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। वह त्रिदेवों में सर्वश्रेष्ठ हैं व हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं। शक्ति स्वरूप माता पार्वती इनकी अर्धांगिनी हैं एवं कार्तिकेय और गणेश इनके पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। उनके गले में सर्प लिपटा हुआ है तो जटाओं में उन्होंने चंद्र एवं माता गंगा को धारण किया हुआ है।



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भगवान शिव के जलाभिषेक से भक्तों का कल्याण होता है। सृष्टि के हित में पंच तत्त्व बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं ऐसे में व्यक्ति यदि पूर्ण विधि - विधान से जलाभिषेक करें तो उसके कष्टों का निवारण होता है। उसे शत्रुओं का भय नहीं रहता जिसके कारण वह अपने कार्य को बिना किसी डर के सफल बंनाने में सक्षम होता है। प्राचीन काल से ही महादेव के जलाभिषेक की प्रथा चली आ रही है। शिव पूजा में अभिषेक का बहुत महत्व माना जाता है। शिव संसार की उत्पत्ति से लेकर अंत तक का एक मात्र श्रोत माने गए हैं। उनके आशीर्वाद से भक्तों के सभी अटके कार्य मंगलकारी रूप से सफल होते हैं। शिव की कृपा से भक्तों को सुखमय जीवन का बोध होता है तथा उनके जीवन से विपदाओं का भी नाश होता है।

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सोमवार का दिन  महादेव की आराधना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मंदिरों में शिव के नाम के भजन, पाठ व कथाओं का होना शुभ माना जाता है। सोमवार के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि संपन्न कर लेना चाहिए। तत्पश्चात ध्यान लगाकर शिव की उपासना करनी चाहिए। इस दिन महादेव को बेल पत्र, धतूरा अर्पण करना फलदायी प्रमाणित होता है। मंदिर या घर में शिव लिंग का जलाभिषेक किया जाना चाहिए। जल द्वारा अभिषेक शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका माना जाता है। इससे व्यक्ति के जीवन से व्यथा का अंत होता है एवं उसे सुख की प्राप्ति होती है।

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