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Home ›   Blogs Hindi ›   Maa Ganga: Where did the drops of nectar fall in the Ganges?

Maa Ganga: कहाँ पर गिरी थी गंगा जी में अमृत की बूंदे

Myjyotish Expert Updated 07 May 2022 01:18 PM IST
कहाँ पर गिरी थी गंगा जी में अमृत की बूंदे
कहाँ पर गिरी थी गंगा जी में अमृत की बूंदे - फोटो : google
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कहाँ पर गिरी थी गंगा जी में अमृत की बूंदे


जिस दिन माँ गंगा स्वर्ग लोक से उतरकर भगवान शंकर की जटाओं में समाई थी वह दिन गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गंगा सप्तमी 8 मई को मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी के शुभ अवसर पर देवी गंगा से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें जानते है।

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को राजा भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर देवी गंगा स्वर्ग लोक से धरती पे उतरी थी और उन्हें भगवान शिव ने अपनी जटाओं में बांध लिया था ताकि माँ धरती उनके भार और वेग से रसातल में ना चली जाएं। अपनी जटाओं में बांधने के बाद भगवान शंकर ने देवी गंगा को सात धाराओं में प्रवाहित करा था।  साथ ही यह भी कहते हैं कि इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की भी उत्पत्ति हुई थी।

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मान्यतानुसार देवी गंगा एक ऐसी पवित्र नदी है जो कि तीनों लोक में बहती हैं। इन्हें स्वर्ग में मंदाकिनी,  पाताल में भागीरथी के नाम से जाना जाता है। मोक्ष प्रदान करने वाली देवी गंगा का एक नाम जाह्नवी भी है।

माँ गंगा से कलियुग का एक अहम रहस्य भी जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि जब माँ गंगा पूरी तरह से विलुप्त हो जाएंगी तो इस कलयुग का भी अंत हो जाएगा और उसके बाद सतयुग का उदय होगा।

माँ गंगा बहुत ही पवित्र नदी मानी जाती है। इनके जल का उपयोग हर कार्य में होता है। देवी गंगा का जल इतना पवित्र है कि हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक के हर कार्य में गंगा जल का उपयोग अनिवार्य होता है। कहते हैं कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसके मुँह में गंगाजल डालने से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 देवी गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जहाँ पर की अमृत की बूंदें गिरी थीं। प्रयाग और हरिद्वार यह वह दो स्थान है जहाँ पर की गंगा के जल में अमृत की बूँदें गिरी थी, जिसके बाद गंगाजल और भी पवित्र माना जाता है।

 मान्यता है कि गंगा सप्तमी के दिन माँ गंगा की पूजा करने से अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं। 

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गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है कहते हैं कि गंगा जी में स्नान करने से माँ गंगा के आशीर्वाद से निरोगी काया की प्राप्ति होती है। यदि आप गंगा जी नहीं जा सकते हैं तो अपने नहाने के पानी में गंगाजल अवश्य मिलाएं।

गंगा सप्तमी के दिन एक कटोरी में गंगाजल भरकर उसके सम्मुख गाय के घी का दीपक जलाकर माँ गंगा का ध्यान करें और उनकी आरती करें। उसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

 गंगा सप्तमी के दिन एक लौटे गंगाजल में पांच बेलपत्र डालें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग पर एक धार से यह जल अर्पित करें। उसके बाद अक्षत, चंदन, पुष्प, भोग, दक्षिणा आदि अर्पित करें।

 गंगा सप्तमी के दिन दान पुण्य का विशेष महत्त्व है। कहते हैं कि इस दिन किया गया दान कई जन्मों के पुण्य के रूप में प्राप्त होता है।

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