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Somavati Amavasya 2022: जानें कब है साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 

Myjyotish Expert Updated 02 May 2022 11:46 AM IST
जानें कब है साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 
जानें कब है साल की अंतिम सोमवती अमावस्या  - फोटो : google
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जानें कब है साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 


हिंदू धर्म के पंचांग के हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि कहते हैं। अमावस्या तिथि जिस दिन पढ़ रही होती है उसे उस नाम से पुकारा जाता है। शनिवार और सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्त्व होता है। शनिवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो उसे शनि अमावस्या कहते है वहीं यदि अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़े तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस वर्ष पूरे साल में मात्र दो ही सोमवती अमावस्या पड़ेगी।

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जिसमें से एक सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी और इस वर्ष की अंतिम सोमवती अमावस्या 30 मई के दिन पड़ेगी। यह साल की आखिरी सोमवती अमावस्या है जिस कारण से इसका महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। इसलिए आज हम आपको बता रहे है की साल की अंतिम सोमवती अमावस्या के दिन कैसे पूजा करें और इस दिन किन कार्यों को करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

 सोमवार का दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का दिन माना जाता है। यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए काफी महत्त्व रखता है। भगवान शिव के भक्त इस दिन यज्ञ करते हैं। कई जगहों पर बड़े स्तर पर सामूहिक यज्ञों का भी आयोजन किया जाता है। मान्यता हैं कि इस दिन पीपल के पेड़ की विधिवत पूजा करने से महिलाओं के सुहाग की आयु बढ़ती है और साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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कहते हैं कि सोमवती अमावस्या के दिन  की गई पूजा से व्यक्ति के मन और मस्तिष्क में जो भी नकारात्मक विचार उत्पन्न हो रहे होते है उनका नाश होता है। इतना ही नहीं घर में मौजूद नकारात्मक  शक्तियों का भी नाश होता है।

सोमवती अमावस्या के दिन  सुहागिन महिलाएं पीपल के पेड़ की विधिवत पूजा करती है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा लेने से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। सुहागिन महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती है।

जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

 सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्त्व है। यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो आप सोमवती अमावस्या के दिन भोर में उठकर घर पर ही स्नान करें। अपने स्नान करने वाले पानी में गंगा जल मिला लें इससे आपको पवित्र नदियों में स्नान के बराबर ही पुण्य की प्राप्त होगी। स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर तांबे के लोटे में पवित्र जल लेकर सूर्यदेव को अर्पित करें।

कहते हैं कि इस दिन पितरों के नाम के तिल दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन व्रत और पूजा का भी विशेष महत्त्व इसलिए इस दिन अपने घर में पूजा अवश्य करें और संभव हो तो व्रत भी रखें। इससे आपको भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा मिलेंगी।

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