खास बातें
Lal Kitab Ketu Yatra: लाल किताब के अनुसार, कुंडली के विभिन्न भावों में केतु, यात्रा के विभिन्न योग बनाता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी कुंडली के कौन से भाव में केतु विराजमान है। तो आइए जानते हैं कुंडली के अलग-अलग भावों में केतु की उपस्थिति किस प्रकार के यात्रा के योग बनाती है।केतु किस भाव में विराजमान होने से किस प्रकार की यात्रा के योग बनाता है?
यदि जातक की कुंडली के प्रथम भाव में केतु हो, तो वह यात्रा के लिए सदैव तैयार रहता है। वहीं अगर जातक की कुंडली का सातवां भाव खाली रहता है, तो वह व्यक्ति लंबी यात्राएं करता है।
जातक की कुंडली के दूसरे भाव में यदि केतु विराजमान है, तो समझ लिजिए कि आप जो भी यात्रा करेंगे वह उन्नति के फलस्वरूप ही होंगी। यानी, आप अपने अच्छे कार्य के साथ उन्नति हासिल करेंगे और फिर उससे ही यात्रा करेंगे।
जातक की कुंडली के तृतीय भाव में केतु की उपस्थिति यह दर्शाती है कि आप अपने भाई-बंधुओं के साथ विदेश में रहेंगे, लेकिन इसके लिए आपकी कुंडली का 9वां भाव खाली होना चाहिए।
यदि आपकी कुंडली के चौथे भाव में केतु है, तो आप ज्यादा दूर की यात्राएं नहीं कर पाएंगे। आपकी जो यात्रा होगी वह केवल माता-पिता के निवास स्थान तक की सीमित होगी।
जातक की कुंडली के पंचम भाव में यदि केतु उपस्थित है और इसके साथ ही यदि आपका बृहस्तपति भी उच्च भाव में है, तो आपकी यात्रा अच्छी और अनजान जगह पर हो सकती है।
यदि जातक की कुंडली के छठे भाव में केतु विराजमान है, तो आप समझ जाएं कि आपकी यात्रा के लिए प्लान तो बनेंगे, मगर आपक यात्रा की पूरी तैयारी होकर भी यात्रा रूक जाएगी।
कुंडली के सातवें भाव में केतु उपस्थित होने से आपकी यात्रा के प्रबल योग बनते हैं, लेकिन यह योग तभी बन सकते हैं, जब कुंडली के पहले भाव में कोई नीच ग्रह उपस्थित ना हो।
यदि जातक के अष्टम भाव में केतु विराजमान है, तो जातक की यात्रा थोड़ी कष्टदायक हो सकती है। यात्रा के चलते कभी-कभी उसे बीमारी का भी सामना करना पड़ सकता है।
कुंडली के नवम भाव में यदि केतु विराजमान है, तो आपकी समस्त यात्राएं मंगलमयी होंगी और आपको यात्रा से अच्छे परिणाम भी मिलते रहेंगे।
यदि किसी जातक के दसवें भाव में केतु बैठा है, तो आपकी बिना समय की यात्राएं हो सकती हैं और यदि शनि शुभ भाव में बैठा हो, तो आपको यात्रा से दोगुना लाभ प्राप्त हो सकता है, वरना हानि हो सकती है।
यदि किसी जातक की कुंडली के ग्यारहवें भाव में केतु विराजमान है, तो छोटी यात्रा के योग बन सकते हैं, लेकिन यात्रा संभव नहीं होती है। इसके साथ ही यात्रा अक्सर रद्द हो जाती हैं।
जिन जातकों की कुंडली के बारहवें भाव में केतु विराजमान होता है, उनकी यात्रा के भी शुभ योग बनते हैं, लेकिन इसके साथ कुंडली का 2 और 6 भाव शुभ होना चाहिए।
तो यह थे लाल किताब के अनुसार कुंडली में केतु की उपस्थिति से किस प्रकार की यात्रा के योग बन सकत हैं। यदि आप अपनी यात्रा को विशेष रूप से शुभ बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 15 दिनों तक कुत्तों को दूध पिलाना चाहिए। यह उपाय भी लाल किताब में बताया गया है। हालांकि अन्य उपाय जानने के लिए आपको ज्योतिषी से परामर्श अवश्य ही लेना चाहिए।
ज्योतिषाचार्यों से बात करने के लिए यहां क्लिक करें- https://www.myjyotish.com/talk-to-astrologers