खास बातें
1st to 6th Houses of Kundali: कुंडली के सभी 12 भाव कुछ ना कुछ आपके व्यक्तित्व, भविष्य, वर्तमान, वर्चस्व, संपत्ति के विषय में बताते हैं। कुंडली में एक से लेकर छठे भाव का महत्व इस लेख में बताया गया है।
कुंडली का पहला भाव
कुंडली के पहले भाव को लग्न भाव कहा जाता है। इस भाव को देखकर ही जातक का स्वभाव और जन्म को देखा जाता है। कुंडली के पहले भाव को स्वामी मंगल ग्रह होता है और कारक ग्रह सूर्य होता है। इस भाव में उपस्थित ग्रह को देखकर हमारी आंतरिक और बाहरी छवि के विषय में बताता है। यह भाव कुंडली के अन्य भावों को भी प्रभावित कर सकता है।
कुंडली का दूसरा भाव
कुंडली के दूसरा भाव जातक का धन और परिवार को दर्शाता है। दूसरे भाव का स्वामी शुक्र होता है और इसका कारक ग्रह बृहस्तपति होता है। इस भाव से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, शिक्षा, वाणी आदि के विषय में देखा जाता है।
कुंडली का तीसरा भाव
कुंडली का तीसरा भाव जातक के भाई-बहनों के आपसी संबंधों को दर्शाता है, इसलिए इस भाव को भ्रातृसंघ भी कहा जाता है। कुंडली के तीसरे ग्रह का स्वामी बुध है और कारक ग्रह मंगल है।
कुंडली का चौथा भाव
चौथे भाव का ग्रह स्वामी चन्द्र है और इसका कारक ग्रह बुध है। कुंडली का चौथा भाव आपके साथ आपके परिवार व माता के संबंधों को व्यक्त करता है। यानि कि कुंडली का चौथा भाव आपके पूर्वज, पैतृक जमीन और आपकी संपत्ति के विषय में भी बताता है।
कुंडली का पांचवा भाव
कुंडली के पांचवें भाव का ग्रह स्वामी सूर्य और कारक ग्रह गुरू यानि कि बृहस्पति है। यह भाव जातक के जीवन में रचनात्मक और संतान पक्ष से जुड़ा हुआ होता है। पंचम भाव को भाग्य का घर भी कहा जाता है। इसके साथ ही पंचम भाव मानसिक स्वास्थ्य को भी दर्शाता है।
कुंडली का छठा भाव
जातक की कुंडली का छठा भाव का ग्रह स्वामी बुध है और कारक ग्रह केतु है। यह भाव जातक के स्वास्थ्य के विषय में बताता है। जिससे जातक की बीमारी के काल में पता चलता है। इसके साथ ही कुंडली का छठा भाव नौकरी, व्यवसाय से भी संबंधित होता है।
तो इस प्रकार से आप जान सकते हैं कि आपकी कुंडली का कौन सा भाव क्या कहता है। लेकिन इसका सटीक विश्लेषण इस बात से लगाया जा सकता है कि इन भावों में कौन से ग्रह विराजमान है, जिसके लिए आपको ज्योतिषि से जरूर परामर्श लेना चाहिए।
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