मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रों के पहले दिन माँ दुर्गा का जन्म हुआ था तथा माँ दुर्गा के कथन पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण का कार्य आरम्भ किया था। इसलिए ही चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन को नव वर्ष का आगमन भी माना जाता है। यह विक्रम संवत का प्रथम दिवस होता है, इसी दिन पहली बार सूर्य की पहली किरण पृथ्वी पर पड़ी थी। इस दिन को भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के जन्म के साथ ही साथ ९ ग्रह,२७ नक्षत्र और १२ राशियों के उदय का दिन भी माना जाता है।
कालभैरव मंदिर में कालाष्टमी की पूजा से होंगे सभी दोष दूर,पूजा करवाने के लिए अभी क्लिक करे
इस बार नवरात्रि में बहुत सारे शुभ योग बन रहे है जिनमें ४ सर्वाथ सिद्धि योग, ५ रवि योग, एक द्विपुष्कर योग और एक गुरु पुष्य योग रहने वाला है। इन योगों के कारण माँ की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होगी। इसी के साथ ३० मार्च तक गुरु शनि की राशि मकर में प्रवेश करेगा। जहां शनि देव और मंगल ग्रह पहले से ही विराजमान हैं। मीन में सूर्य, कुम्भ में बुध, मिथुन में राहु, धनु में केतु और वृषभ में शुक्र रहेंगे। ग्रह योगों के कारण ही यह नवरात्रि जातकों के लिए शुभ मानी जाएगी।
नवरात्रि के दिनों में ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ करना बहुत लाभदायक होता है। इसके पहले दिन कलश स्थापना के बाद माँ की पूजा श्रद्धापूर्वक करने से मनचाही इच्छा जल्दी पूरी होती है तथा भक्तों पर माँ का आशीर्वाद बना रहता है। सभी इन दिनों माता की पूजा कर अपनी आतंरिक शक्तियों को जाग्रत करने का प्रयास करते हैं, इन दिनों साधकों की साधना का फल व्यर्थ नहीं जाता है। माँ अपने भक्तों को साधना अनुसार फल प्रदान करती है साथ ही साथ इन दिनों में किए गए दान पुण्य भी बहुत महत्व रखते हैं।
यह भी पढ़े
बृहस्पति का मकर राशि में गोचर: फल और उपाय
जानिए शुक्र ग्रह के बारें में सारी जानकारी