ज्योतिष सिद्धांतों के फलस्वरूप बृहस्पति का नीच भंग होगा क्योंकि राशिपति शनि बृहस्पति के साथ मकर राशि में रहेगा। कुछ समय की मंगल की मकर राशि में उपस्थिति भी नीच भंग को अधिक प्रबल करेगी। बृहस्पति का यह गोचर अधिक महत्त्व रखता है क्योंकि इस गोचर में बृहस्पति कुछ आगामी घटनाओं और प्रसंगों को जागृत कर देंगे जिनका घटना वर्ष 2020 में होना चाहिए था।
विशेष तौर पर यह गोचर मेष चंद्र लगन, वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर एवं मीन चंद्र लगन के लिए शुभ रहेगा। विवाह, संतान प्राप्ति,पदोन्नति, स्थान परिवर्तन जैसे शुभ परिणाम प्राप्त होने की सम्भावना है। स्मरण रहे की बृहस्पति का यह गोचर केवल कुछ समय के लिए होगा इसलिए उपर्युक्त राशि के जातकों को सजग रह कर लाभ उठाना होगा अन्यथा ये समय बीत जायेगा और फिर केवल वर्ष 2021 में ही लौट के आएगा।
तत्काल गोचर में धनु, मकर और कुम्भ राशि पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव है और बृहस्पति के इस अस्थायी गोचर से शनिदेव द्वारा प्रदत पीड़ा से कुछ स्तर पर मुक्ति प्राप्त होगी। ये समय कुछ विशिष्ट उपाय करने के लिए अच्छा होगा।
इस समय में निम्नलिखित उपाय करने से लाभ मिलेगा
ॐ विवाह एवं संतान प्राप्ति के लिए
---पीपल के पेड़ को जल में हल्दी मिला कर अर्पण करने से शुभ विवाह और संतान प्राप्ति के योग बनेंगे
---शुक्रवार के दिन बछड़े वाली गाय को आलू उबालकर हल्दी से पीले कर खिलाएं
ॐ पदोन्नति एवं मनचाहे स्थान परिवर्तन के लिए
---प्रतिदिन श्री यन्त्र/महालक्ष्मी की मूर्ती के ललाट पर केसर का टिका लगाने के बाद कुछ अंश अपने माथे पर लगा लें
---बृहस्पति नीच होने की स्थिति में नाभि के आस पास केसर लगाएं
ॐ शनि शांति/साढ़े साती की पीड़ा शांत करने के लिए
---शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में जल में कुछ बूँदें सरसों के तेल की मिलाकर अर्पित करें
---पीपल के पेड़ में जल में कुछ मात्रा में काली साबुत मूंग दाल मिलकर अर्पित करें
ॐ रोग मुक्ति के लिए
---शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को जल में गुलाब जल मिलाकर अर्पित करें और छह प्रदक्षिणा लें। रोग के मुक्ति के पश्चात् पीपल को कुछ पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगा दें।
---पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
शुभाशीष
आचार्य आदित्य
एस्ट्रोलॉजर्स
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