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जानिए शुक्र ग्रह के बारें में सारी जानकारी

My Jyotish Expert Updated 10 Mar 2020 09:11 AM IST
Know all the information about the planet Venus
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जिस प्रकार देवगुरु बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं, उसी प्रकार शुक्र असुरों के गुरु हैं इसीलिए किसी भी जातक की जन्मकुंडली में जब शुक्र और वृहस्पति एक साथ होते हैं तो ‘गुरुता योग’का निर्माण होता है। वृषभ एवं तुला राशि के स्वामी शुक्र मीन राशि में उच्चराशिगत और कन्या राशि में नीचराशिगत होते हैं । इनके द्वारा निर्मित 'मालव्य योग' पंचमहापुरुष योग में से एक है।



विलासिता पूर्ण वस्तुओं, होटल्स, सौंदर्य प्रसाधन की सभी सामग्री, फिल्म उद्योग, गीत-संगीत लेखन, सौंदर्य प्रतियोगिताओं, एविएशन, भारी उद्योग, रसायन शास्त्र, न्यूरो सर्जरी से संबंधित शिक्षा, प्रेम विवाह, गुप्त रोगों एवं यौन संबंधी अन्य विकारों, संतान सुख, मांगलिक कार्यों, शिक्षा प्रतियोगिता की सफलता आदि के कारक कहे गए हैं।
 
जन्मकुंडली में इनका स्थान अगर शुभ हो तो व्यक्ति जीवन के सारे ऐश्वर्य का भोग करता है किंतु अशुभ हो तो कहीं ना कहीं रिक्तता बनी रहती है। अकेले शुक्र ही ऐसे ग्रह हैं जो जन्मकुंडली के बारहवें व्ययभाव में भी अतिशुभ फल देते हैं। वर्तमान में इनके मीन राशि में गोचर के समय निर्मित होने वाले ‘मालव्य योग’ का निर्माण हो रहा है।
 
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शुक्रवार के दिन इन उपायों को करने से होगी धन और वैभव की प्राप्ति

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को सौंदर्य, ऐश्वर्य, वैभव, कला, संगीत और काम वासना का कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह वृषभ और तुला का मालिक है। मीन राशि में यह उच्च और कन्या राशि में नीच अवस्था में होता है। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह प्रबल होता है, उनके व्यक्तित्व को शुक्र आकर्षक बनाता है।
प्रबल शुक्र के जातक धन और वैभव संपन्न होते हैं। उनका जीवन ऐश्वर्यशाली होता है। अगर जातक कला क्षेत्र से जुड़ा होता है तो वह उस क्षेत्र में सफलता के नए आयाम छूता है। इसके विपरीत यदि कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ होता है तो उससे जातकों को कई तरह की परेशानियां होती हैं। शुक्र के अशुभ प्रभाव के कारण जातक का जीवन दरिद्रमय हो जाता है। उसे सभी प्रकार के सांसारिक सुख प्राप्त नहीं हो पाते हैं।

शुक्र को कैसे करें प्रबल?
शुक्र ग्रह के शुभ फल पाने के लिए जातक को इसको मजबूत करना होगा। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह की शांति के उपाय बतलाए गए हैं। इनमें विधिनुसार शुक्र यंत्र स्थापना करके उसकी पूजा, शुक्र ग्रह के बीज मंत्र का जाप, शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान, शुक्रवार का व्रत, माँ लक्ष्मी जी की पूजा, हीरा रत्न, छह मुखी रुद्राक्ष और अरंड मूल की जड़ धारण करना बताए गए हैं।

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