कालाष्टमी- कालभैरव विशेष पूजा दिवस
कालाष्टमी या काला अष्टमी भगवान भैरव पूजा का विशेष समय होता है. प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन विशेष रुप से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग की अष्टमी तिथि का समय भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है. इस दिन, हिंदू भक्त भगवान भैरव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं. एक वर्ष में कुल 12 कालाष्टमी मनाई जाती हैं. यह दिन इनके अवतर्ण का समय भी माना गया है जब सृष्टि में इनका आगमन होता है. सृष्टि के संचालन में इनका विशेष योगदान रहा है. बुराईयों का नाश करने हेतु कालभैरव का पूजन विशेष सफल होता है.
मार्गशीर्ष' मास में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को 'कालभैरवअष्टमी जयंती के नाम से जाना जाता है. रविवार या मंगलवार को पड़ने वाली कालाष्टमी को भी पवित्र माना जाता है, क्योंकि ये दिन भगवान भैरव को समर्पित होते हैं. कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा का त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
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अष्टमी तिथि का समय: 22 मई, दोपहर 1:00 बजे - 23 मई, 11:34 पूर्वाह्न
कालाष्टमी के दौरान पूजा विधि
कालाष्टमी भगवान शिव के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठ जाते हैं और जल्दी स्नान करते हैं. भगवान के आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने पापों के लिए क्षमा मांगने के लिए काल भैरव की विशेष पूजा करते हैं.
भक्त शाम को भगवान काल भैरव का पूजन विशेष विधि विधान से करते हैं. भैरव मंदिर में भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी भगवान शिव का एक उग्र रूप है. उनका जन्म भगवान ब्रह्मा के जलते हुए क्रोध और क्रोध को समाप्त करने के लिए हुआ था.
कालाष्टमी पर प्रात:काल समय पूर्वजों की शांति हेतु विशेष पूजा और अनुष्ठान भी किया जाता है.
काल भैरव अष्टमी के दिन भक्त उपवास भी रखते हैं. रात्रि जागरण होता है तथा महाकालेश्वर की कथा सुनी ओर पढ़ी जाती है. ब्राह्मणों को भोजन एवं दक्षिणा देना अत्यधिक फलदायी माना जाता है.
कालाष्टमी व्रत का पालन से सभी नकारात्मक तत्वों का नाश होता है. भक्त को समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद मिलता है. जीवन में सभी प्रकार की सफलता प्राप्त होती है.
काल भैरव कथा का पाठ करना और भगवान शिव को समर्पित मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है.
कालाष्टमी पर कुत्तों को खाना खिलाने का भी रिवाज है क्योंकि काले कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन माना जाता है. कुत्तों को दूध, दही और मिठाई दी जाती है.
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कालाष्टमी का महत्व:
कालाष्टमी की महानता 'आदित्य पुराण' में वर्णित है. कालाष्टमी पर पूजा के मुख्य देवता भगवान काल भैरव हैं जिन्हें भगवान शिव का एक रूप माना जाता है.हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच एक तर्क के दौरान, भगवान शिव ब्रह्मा द्वारा पारित एक टिप्पणी से क्रोधित हो गए. फिर उन्होंने 'महाकालेश्वर' का रूप धारण किया और भगवान ब्रह्मा का 5वां सिर काट दिया.
तब से, देवता और मनुष्य भगवान शिव के इस रूप को 'काल भैरव' के रूप में पूजते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से जीवन से सभी कष्ट, दर्द और नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं.
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