जगन्नाथ ही नहीं इन अट्रैक्टिव टूरिस्ट प्लेस के लिए भी फेमस है ओडिशा
जगन्नाथ – द्वापर के बाद भगवान श्री कृष्ण जगन्नाथ पुरी में निवास करने लगे। जगन्नाथ पुरी चारों धामों में से एक हैं। इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बहन के साथ विराजमान है। हिंदुओं की प्राचीन और पवित्र सात नगरियों में पूरी ओडिशा राज्य के समुद्री तट पर बसा हुआ है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां जो भगवान श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम जी और बहन सुभद्रा की जो मूर्ति है वो किसी पत्थर या ईट की नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी से बनी है।
हर 12 साल बाद इन मूर्तियों को बदला जाता है। वैसे यहां जगन्नाथ मंदिर के अलावा वे ओडिशा में दूसरे टूरिस्ट प्लेसेस को भी एक्सप्लोर किया जा सकता है जानें नेचुरल ब्यूटी वाले जगहों के बारे में :–
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चिल्ला झील
चिल्ला झील अभ्यारण लगभग 110 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। चिल्ला झील ओडिशा में इको टूरिज्म के लिए सबसे लोकप्रिय जगह है। इस क्षेत्र में विदेशी वन्य जीवों के साथ साथ झील और इसके आस पास जलीय और गैर जलीय पौधें है।एक पर्यावरण सर्वेक्षण में चिल्ला झील और इसके आस पास 710 पौधों के बारे में पता चला है। चिल्ला झील को रामसर रूप बनाने का कारण वहा पर कई रूपों की दुर्लभ प्रजातियों सहित वनस्पतियों और जीवों का मिलना। यहां भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे बड़ा शीतकालीन मैदान है।घूमने और जीव को देखने का बहुत ही सुंदर स्थल है।
कोणांक सूर्य मंदिर
ओडिशा में यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है क्योंकि कोणांक मंदिर की कल्पना सूर्य के रथ के रूप में की गई है। मंदिर अपनी विशालता , निर्माणसौष्ठव तथा वास्तु और मूर्ति कला के समन्वय अद्वितीय है। सूर्य देव की भव्य मूर्ति है। आपको सूर्य देव के मूर्ति के बदलते भाव को देखना चाहिए क्योंकि सुबह मंदिर के साथ इनके भाव भी अदभुत होते है। मंदिर परिसर के दक्षिण पूर्वी कोने में सूर्य देवी की पत्नी माया देवी को समर्पित एक मंदिर है। यहा पर नव ग्रह की मंदिर है। इस मंदिर के पीछे अनेक पौराणिक कथाएं हैं। जो कथाएं द्वापर युग से ज्यादा मिलते है। सम्पूर्ण कोणांक सूर्य मंदिर स्थल को 12 जोड़ी चक्रों के साथ सात घोड़े से खींचते हुए निर्मित किया गया है जिसमे सूर्य देव को विराजमान दिखाया गया है। ये मंदिर वास्तु कला का बेहतरीन उधारण है। इस मंदिर को दूर दूर से लोग देखने आते है।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
भुनेश्वर
भुनेश्वर में कई ऐसी मंदिर है जो हम घूम सकते है।भूलेश्वर पूर्व भारत का एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो ये नगर अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। यही पर प्रसिद्ध कलिंग युद्ध हुआ था। भूलेश्वर को पूर्व काशी भी कहा जाता है। भूलेश्वर में एक प्रसिद्ध बौद्ध स्थल भी है। एक पहलू से यहां प्रसिद्ध हिंदुओं के मंदिर का निर्माण हुआ है। इस प्रकार भुनेश्वर वर्तमान में एक बहुसांस्कृतिक नगर है। बताया जाता है की भुनेश्वर में लगभग 7000 मंदिर थे।जिसका निर्माण 700 वर्षो में हुआ था। आज के समय में 600 मंदिर बचे हुए है।
ये सब स्थल पर पर्यटक को घूमने बहुत आनंद आएगा और अनेक देवी देवता के भी दर्शन होंगे।
पुरी
पुरी, पुरी राजधानी से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित हैं। पर्यटकों के लिए उत्तम जगह है। यहां पुरी के बीच जगन्नाथ मन्दिर, चिल्ला झील, पक्षी अभ्यारण, और गुड़ीचा मंदिर पुरी का आकर्षित केंद्र है। यहां का गुड़ीचा मंदिर पर्यटकों को बहुत लुभाता है।ये मंदिर कलिंग वास्तुकला में बनाया गया है। गुड़ीचा देवी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता हैं। मान्यता है की रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने मौसी के घर 9 दिन ठहरते है। इसके पीछे भी कई कहानियां मिलती है।
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