खास बातें
Jatakarma Sanskar: जातकर्म संस्कार, बच्चे के जन्म के उपरांत किया जाता है। इसके माध्यम से नवजात शिशु का नालछेदन किया जाता है और कुछ स्थानों में बच्चे को शहद चखाया है। तो आइए जानते हैं क्या है इसका महत्व क्या है।
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Jatakarma Sanskar: जातकर्म संस्कार हिंदू धर्म में नवजात शिशु के जन्म के बाद किया जाने वाला पहला संस्कार है। इस संस्कार के माध्यम से नवजात शिशु के नाल का छेदन किया जाता है। इसके साथ ही कुछ स्थानों में जन्म के उपरांत ही शिशु को माता का दूध पीलाने से पूर्व शहद चखाया जाता है। जातकर्म संस्कार 16 संस्कारों का तीसरा संस्कार होता है। यह संस्कार शिशु के जीवन में प्रवेश के साथ-साथ उसके भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस संस्कार का क्या महत्व है।
कब किया जाता है जातकर्म संस्कार
यावन्न छिद्यते नालं तावन्नाप्नोति सूतकम्।
छिन्ने नाले तत: पश्चात्सूतकं तु विधीयते।।
(वीरमित्रोदय-संस्कारप्रकाश)
पुत्र के जन्म के उपरांत में नालछेदन के समय को लेकर कहा गया है कि, यह संस्कार बारह घड़ी यानी चार घंटे या फिर सोलह घड़ी यानि कि छ: घंटे में किया जाता है। इसके पहले, शिशु के जन्म से पहले गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार और सीमन्तोन्नयन संस्कार किया जाता है। सभी संस्कारों की तरह ही इसकी महत्वता अधिक होती है।
जातकर्म संस्कार का महत्व
गर्भाम्बुपानजो दोषो जातात् सर्वोSपि नश्यति।
स्मृति संग्रह में लिखा है कि यह संस्कार पुत्र के होने पर किया जाता है। जातकर्म संस्कार शिशु के जीवन का शुभारंभ करता है। इस संस्कार के माध्यम से शिशु को पवित्र किया जाता है और उसे आशीर्वाद दिया जाता है। इस संस्कार के द्वारा शिशु में बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है। जातकर्म संस्कार शिशु को स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करता है। यह संस्कार शिशु की जन्म कुंडली में मौजूद ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है। जातकर्म संस्कार शिशु को धार्मिक संस्कारों से जोड़ता है और उसे सदाचार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
जातकर्म संस्कार के लाभ
- शिशु का स्वस्थ जीवन: जातकर्म संस्कार शिशु को स्वस्थ और दीर्घ जीवन प्रदान करता है।
- बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि: यह संस्कार शिशु की बुद्धि और ज्ञान को विकसित करने में मदद करता है।
- सफलता और समृद्धि: जातकर्म संस्कार शिशु को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।
- पापों का नाश: यह संस्कार शिशु के जन्मजात पापों का नाश करता है।
- आध्यात्मिक विकास: जातकर्म संस्कार शिशु को आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर करता है।
जातकर्म संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार शिशु के जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आप भी अपने शिशु का जातकर्म संस्कार करवाना चाहते हैं, तो आपको ज्योतिषी से परामर्श अवश्य ही लेना चाहिए।