खास बातें
Simantonnayana Sanskar: सीमन्तोन्नयन संस्कार, 16 संस्कारों का तीसरा सबसे अहम संस्कार है। इस संस्कार को गर्भ धारण करने के छठें या फिर आठवें माह में किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है इसका महत्व।
सीमन्तोन्नयन संस्कार का महत्व
येनादिते सीमानं नयति प्रजापतिर्महते सौभगाय!
तेनाहमस्यै सीमानं नयामि प्रजामस्यै जरदष्टि कृणोमी!!
सीमन्तोन्नयन संस्कार के विषय में ऋग्वेद में मत है, कि जिस प्रकार से ब्रह्म देव ने देवमाता अदिति का सीमन्तोन्नयन संस्कार किया था और वह दीर्घजीवी बनीं, ठीक इसी प्रकार से गर्भ में पल रहे शिशु का भी सीमन्तोन्नयन संस्कार करवाना चाहिए, ताकि आपकी संतान भी उत्तम और दीर्घजीवी बनें। कहा जाता है कि इस समय गर्भ में पल रही संतान सुनन में सक्षम हो जाती है, इसलिए सीमन्तोन्नयन संस्कार के माध्यम से माता को संतान को सुयोग्य एवं उत्तम बनाने के विषय में भी बताया जाता है। माता को साहित्य अध्ययन में रूचि रखनी चाहिए और सद् विचारों को अपने भीतर समाहित करना चाहिए। इस संस्कार में वीणा वादकों को बुलाकर उनसे राजा एवं वीर पुरूष का गान करवाया जाता है।
सीमन्तोन्नयन संस्कार के शुभ नक्षत्र
सीमन्तोन्नयन संस्कार, वैसे तो गर्भ धारण करने में छठे माह या फिर आठवें माह में किया जाता है, लेकिन इसके लिए शुभ नक्षत्र बहुत अहम होता है। सीमन्तोन्नयन संस्कार के लिए शुभ नक्षत्र है मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, मूल, अनुराधा, मृगशिरा, अश्विनी और श्रवण हैं। हालांकि आपको सीमन्तोन्नयन संस्कार के लिए इन नक्षत्रों में शुभ तिथि निकालना बहुत जरूरी।
यदि आप भी अपने संतान को उत्तम बनाना चाहते हैं या फिर इस संस्कार के लिए जिज्ञासु हैं, तो यह संस्कार आपको जरूर करवाना चाहिए। इसके साथ ही यदि आप इस संस्कार से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिए।