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Home ›   Blogs Hindi ›   Know what is Punsavan Sanskar? Why is this done in the third month after conception?

Punsavan Sanskar: जानें पुंसवन संस्कार क्या है और यह गर्भ धारण करने के तीसरे महीने में क्यों किया जाता है?

Nisha Thapaनिशा थापा Updated 25 May 2024 12:26 PM IST
पुंसवन संस्कार
पुंसवन संस्कार - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Punsavan Sanskar: पुंसवन संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार गर्भ में पल रहे संतान के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। यह संस्कार गर्भधारण के बाद तीसरे महीने में किया जाता है, लेकिन इसका क्या महत्व है आइए जानते हैं।
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Punsavan Sanskar: पुंसवन संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। सनातन धर्म में 16 संस्कारों के विषय में बताया गया है, जो व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु के बाद किए जाते है। यह संस्कार गर्भ में पल रहे संतान के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। यह संस्कार गर्भधारण के बाद तीसरे महीने में किया जाता है, जब स्त्री का गर्भ स्थिर हो जाता है। कहा जाता है कि इस माह में गर्भपात की आशंका अधिक रहती है, इसलिए गर्भ की रक्षा के लिए यह संस्कार किया जाता है। यह संस्कार वैदिक ज्योतिष के द्वारा शुभ मुहूर्त में किया जाता है। तो आइए जानते हैं पुंसवन संस्कार का क्या है महत्व है। 
 

कब किया जाता है पुंसवन संस्कार
 

पुंसवन संस्कार गर्भधारण के दूसरे, तीसरे महीने में अथवा गर्भ के प्रतीत होने पर कर लेना चाहिए।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पहले गर्भधारण के समय यदि यह संस्कार कर लिया है, तो फिर उसके बाद इसकी आवश्यकता नहीं होती है।
"सकृच्च संस्कृता नारी सर्वगर्भेषु संस्कृता । 
यं यं गर्भं प्रसूयेत स सर्वः संस्कृतो भवेत् ॥"

महर्षि देवल के इस मत के अनुसार गर्भवती स्त्री का यदि पहली बार ही पुंसवन संस्कार संपन्न किया जाता है, तो वह दूसरी बार इसकी आवश्यकता नहीं होती है।
 

इस संस्कार का महत्व


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुंसवन संस्कार का मुख्य उद्देश्य गर्भ में पुत्र प्राप्ति की कामना करना है। इसके साथ ही इस संस्कार के माध्यम से गर्भ में पल रहे शिशु  के स्वास्थ्य और विकास के लिए भी शुभ माना जाता है। साथ ही इस संस्कार के माध्यम से गर्भस्थ शिशु को नकारात्मक शक्तियों से बचाने की भी प्रार्थना की जाती है। कहा जाता है कि स्त्री के गर्भ धारण करने के 3 महीने में गर्भपात की आशंका अधिक होती है, इसलिए इस संस्कार के माध्यम माता और गर्भ में पल रहे संतान की रक्षा की जाती है और गर्भवती महिला को पौष्टिक भोजन ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।


पुंसवन संस्कार के लाभ


पुंसवन संस्कार के विषय में आचार्य स्पन्दन ने कहा है कि, 'पुंस सवनं स्पन्दनात्पुरा' यानि कि यह संस्कार पुत्र की प्राप्ति के लिए किया जाता है, जिससे पुत्र प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है। यह संस्कार गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास में सहायक होता है। इसके अलावा गर्भस्थ शिशु को नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। परिवार में सुख-समृद्धि लाता है और गर्भवती महिला का मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।

यदि आप भी शिशु के बेहतर स्वास्थ्य या फिर पुत्र की कामना कर रहे हैं,  तो आपको यह संस्कार अवश्य ही करवाना चाहिए। हालांकि यह संस्कार वैदिक विधि से ही संपन्न किया जाता है और शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। आपको इस संस्कार के लिए और इससे संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी ज्योतिषी से अवश्य ही परामर्श लेना चाहिए।

ज्योतिषाचार्यों से बात करने के लिए यहां क्लिक करें- https://www.myjyotish.com/talk-to-astrologers


 
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