myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Garbhadhan Sanskar is the first sanskar of 16 sanskars, know its importance

Garbhadhan Sanskar: 16 संस्कारों में प्रथम है गर्भाधान संस्कार, जानें इसका महत्व

Nisha Thapaनिशा थापा Updated 20 May 2024 01:36 PM IST
गर्भाधान संस्कार का महत्व
गर्भाधान संस्कार का महत्व - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Garbhadhan Sanskar: हिंदू धर्म में जीवन के 16 संस्कार निर्धारित किए गए हैं, जो एक व्यक्ति के जीवन को सार्थक और पवित्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से पहला संस्कार है गर्भाधान संस्कार, जो कि उत्तम संस्कार की कामना के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं इसका क्या महत्व है। 
 
विज्ञापन
विज्ञापन
सनातन धर्म संस्कृति में  सोलह संस्कार का काफी महत्व माना गया है, इस संस्कार में प्रथम संस्कार गर्भाधान संस्कार है। गर्भाधान संस्कार में गर्भ धारण करने से पूर्व यह संस्कार किया जाता है। यह जन्म से पहले का प्रथम संस्कार होता है। यह संस्कार वैदिक काल से चला आ रहा है, हालांकि अब इसकी महत्ता कम हो गई है। आइए  इस लेख में जानते हैं कि यह संस्कार क्यों जरूरी है और इसका क्या महत्व है।
 

गर्भाधान संस्कार क्या है?


 विवाह के बाद पति पत्नि दंपत्ति अपने भावी संतान के लिए यह संस्कार करवाते हैं। इस संस्कार में बताया जाता है कि गर्भ धारण करने के लिए उपयुक्त तिथि नक्षत्र कौन से हैं। गर्भाधान दो शब्दों से मिलकर बना है, गर्भ + आधान, गर्भ का अर्थ स्त्री के गर्भ से है और आधान का सामान्य अर्थ होता स्थापित करना। यानि कि इस संस्कार के द्वारा स्त्री के गर्भ में संतान के लिए गर्भ स्थापित किया जाता है।
 

गर्भाधान में मन कि स्थिति


हमारे पुराणों में उल्लिखित है उत्तम संतान की कामना के लिए सहवास के समय उत्तेजना और चेष्टा को त्यागना चाहिए। इस संस्कार के माध्यम से मन की चेष्टाएं शांत होती हैं और एक उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। 
क्योंकि, जिस प्रकार से कहा जाता है कि जैसा मन वैसा ही व्यक्ति का चरित्र बन जाता है। ठीक इसी प्रकार से गर्भाधान संस्कार में कहा जाता है कि गर्भ धारण करते समय मन की शुद्धि होनी चाहिए। 

देवताब्राह्मणपरा: शौचाचारहिते रताः। 
महागुणान् प्रसूयन्ते विपरीतास्तु निर्गुणान्॥ (सुश्रुतसंहिता, शारीरस्थान ३ | ३५ )

अर्थात्, स्त्री औप पुरुष का मिलन जिस भाव से होता है, वही भाव संतान में आते हैं। इसलिए गर्भाधान संस्कार के दौरान मन में अच्छी भावना, सुयोग्य विचार और अच्छी संतान उत्पत्ति की ही कामना होनी चाहिए।
 

गर्भाधान संस्कार का महत्व


स्वस्थ संतान: गर्भाधान संस्कार माता-पिता को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाकर गर्भाधान के लिए तैयार करता है।
सकारात्मक ऊर्जा: यह संस्कार गर्भस्थ शिशु को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होता है।
धार्मिक कर्तव्य: गर्भाधान संस्कार एक धार्मिक कर्तव्य है, जो माता-पिता को अपने बच्चे के प्रति जिम्मेदारी का एहसास दिलाता है।

गर्भाधान संस्कार एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जो न केवल गर्भस्थ शिशु के लिए, बल्कि माता-पिता और पूरे परिवार के लिए भी शुभ होता है। यह माना जाता है कि यह संस्कार, गर्भ में आने वाले बच्चे को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और उसे एक स्वस्थ, बुद्धिमान और सदाचारी व्यक्ति बनने में मदद करता है। यदि आप एक स्वस्थ और सदाचारी संतान की कामना करते हैं, तो गर्भाधान संस्कार अवश्य करवाएं। इस संस्कार से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वैदिक ज्योतिषियों से संपर्क करें।

ज्योतिषाचार्यों से बात करने के लिए यहां क्लिक करें- https://www.myjyotish.com/talk-to-astrologers
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
X