भौगोलिक दृष्टि से विंध्याचल भारत वर्ष का मध्य स्तर बिंदु है। यहाँ स्थित विंध्य पर्वत की श्रृंखला भारत की सभी श्रंखलाओं से लम्बी मानी जाती है। यह श्रृंखला बंगाल से होते हुए, बिहार , झारखण्ड, विंध्याचल, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र तक अपनी अनुपम छवि बिखेरे हुए है। विंध्य पर्वत का एशणाय कोण विंध्य क्षेत्र में ही माना जाता है। यहाँ स्थित देवी विंध्यवासिनी सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। उनके सभी कष्टों को दूर करके उन्हें खुशहाल जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। यहाँ देवी की चार आरतियां की जाती हैं जिसमें उनके अलग-अलग रूप का आवाहन किया जाता है।
अक्षय तृतीया पर देवी विंध्यवासिनी के श्रृंगार पूजा से जीवन की समस्याएं होंगी दूर, मिलेगा धन लाभ का आशीर्वाद : 26-अप्रैल-2020
देवी विंध्यवासिनी की कृपा से व्यक्ति की सभी विपदाओं का नाश होता है। देवी माँ की चार आरतियों से पहले किए गए श्रृंगार को बहुत ही लाभकारी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यदि अक्षय तृतीया के दिन माँ का श्रृंगार करवाया जाए तो उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं। अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है इस दिन किसी भी कार्य का फल अक्षय पुण्य के समान होता है। इस दिन किया गया कोई भी कार्य निष्फल नहीं होता है। अगर किसी व्यक्ति को धन-धान्य की समस्या हो तो उसे यह पूजा अवश्य ही करवानी चाहिए इससे उसके सभी दुःख दूर हो जाते हैं।
श्रीमद्धभगवत गीता के दशम स्कन्द के अनुसार ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि के आरम्भ में अपने मन से स्वयभू मनु और शतरूपा को प्रकट किया गया तो उन्होंने विवाह उपरांत देवी की प्रतिमा को स्थापित किया था और उनके समक्ष कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें निष्कंटक राज्य व धन-धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद प्रदान किया था। अक्षय तृतीया के दिन देवी की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है व जीवन के सभी कष्टों का विनाश होता है।
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