इस कालाष्टमी प्राचीन कालभैरव मंदिर दिल्ली में पूजा और प्रसाद अर्पण से बनेगी बिगड़ी बात : 14 -मई - 2020
वह त्रिदेवों में से एक देव हैं जिन्होंने विभिन्न मनुष्य अवतारों में समय-समय पर धरती पर जन्म लिया है। देवी गौरी शंकर जी की अर्धांगिनीं हैं, वह स्वयं त्रिदेवियों में से एक हैं। वह संसार के कण-कण में भिन्न स्वरूप में वास करती हैं। जब-जब संसार में धर्म का नाश हुआ है, उन्होंने अवतार लिए हैं। वह माँ की ममता से लेकर, राक्षसों का संहार करने वाली देवी के रूपों का प्रतिनिधित्व करती है।
गौरी शंकर की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से डर और डिप्रेशन जैसी समस्याएं दूर होती हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति के मन के भीतर छुपा भय समाप्त होता है। गौरी शंकर के आशीर्वाद से उसे कर्मशक्ति की प्राप्ति होती है अर्थात उसे जो कोई भी कार्य को करने में असफलता का सामना करना पड़ रहा है या उसके कार्य में अड़चने आ रही हो तो यह सभी विपदाएं गौरी शंकर की पूजा से दूर हो जाती हैं।
डर या डिप्रेशन को दूर करने के लिए कराएं गौरी शंकर अनुष्ठान
एक खुशहाल जीवन व्यतीत करने के लिए यह बहुत आवश्यक है की व्यक्ति का मन भीतर से प्रसन्न हो व यदि वह किसी प्रकार के नकारात्मक विचार से घिरा रहेगा तो उसका जीवन सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण होने के बाद भी सुखमय नहीं रहता है। गौरी शंकर आदि शक्ति का स्वरूप है, सच्चे मन से की गई उनकी उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती। शंकर अत्यंत ही भोले हैं वहीं माँ गौरी दयालु देवी है इसलिए यदि कोई व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा से इनसे कुछ मांगता है तो गौरी शंकर उनकी कामनाओं की पूर्ति करते हैं।
गौरी शंकर की आराधना से भक्तों के दुःख - दर्द व कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी समस्त चिंताओं का भार ख़त्म हो जाता है। तथा उनकी कार्य कुशलता में वृद्धि होती है। उनके घर में सुख-समृद्धि का वास होता है तथा सकारात्मक विचारों का संचार होता है। इससे आस-पास का वातावरण सुखी रहता है और कार्य करने की इच्छा में वृद्धि होती है।
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