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कमला महालक्ष्मी की कृपा से होती है व्यापार क्षेत्र में वृद्धि

MyJyotish Expert Updated 06 May 2020 07:15 PM IST
With the grace of Kamala Mahalakshmi, business sector grows
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महालक्ष्मी देवी धन की देवी के रूप में जानी जाती हैं। वह हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। माता पार्वती और माता सरस्वती के साथ उनका स्थान त्रिदेवियों में भी उपस्थित है। वह भगवान श्री विष्णु की अर्धांगिनी हैं। इन्होंने विभिन्न रूपों में विष्णु जी के साथ धरती पर मनुष्य को धर्म का पाठ पढ़ाने के लिए मानव रूप में जन्म लिया है।


माँ लक्ष्मी का ही एक रूप कमला माँ लक्ष्मी का भी है। अक्सर सभी यह दोनों को समान ही समझते हैं परन्तु इन दोनों में बहुत ही कम अंश का अंतर है जिसका भेद बहुत कम लोग जान पाते हैं। दोनों ही अपने-अपने रूप में भक्तों को आशीर्वाद व कमल का फूल धारण किए दिखाए गए हैं। परन्तु देवी कमला की प्रतिमा में दो हाथी सदैव उपस्थित रहते हैं जो की उनकी मुद्रा पर जल से अभिषेक करते रहते हैं।

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कमला शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द कमल से हुई है। देवी के विराजमान होने का आसन कमल का फूल ही है जिसके कारण उन्हें कमला देवी कहा जाता है। कमल का फूल पवित्रता एवं शुभता का प्रतीक है। अनेकों देवी-देवताओं की प्रतिमा में कमल के पुष्प का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। परन्तु देवी माँ से इसका जुड़ाव विभिन्न प्रकार से किया जाता है।

इनकी प्रतिमा में हाथियों द्वारा किए गए जलाभिषेक को बरसात के मौसम समान माना गया है। जिस प्रकार हाथी द्वारा जल से देवी का जलाभिषेक होता है। उसी प्रकार बारिश से देवी अपने भक्तों व प्राणियों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। जिसके कारण उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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कमला महालक्ष्मी की आराधना यदि महादेव पुत्र गणपति जी के साथ की जाएं तो उसका फल अत्यंत ही लाभकारी प्रमाणित होता है। इनकी पूजा रात्रि के समय करना शुभ माना जाता है। पूजा में कमल का फूल व मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। देवी अपने भक्तों से जितनी ही प्रसन्न रहेंगी उनके भक्तों के जीवन में उतना धन-धान्य का भंडार भरा रहेगा। वह सदैव कष्टों से मुक्त सुखद जीवन व्यतीत करेंगे।

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