माँ लक्ष्मी का ही एक रूप कमला माँ लक्ष्मी का भी है। अक्सर सभी यह दोनों को समान ही समझते हैं परन्तु इन दोनों में बहुत ही कम अंश का अंतर है जिसका भेद बहुत कम लोग जान पाते हैं। दोनों ही अपने-अपने रूप में भक्तों को आशीर्वाद व कमल का फूल धारण किए दिखाए गए हैं। परन्तु देवी कमला की प्रतिमा में दो हाथी सदैव उपस्थित रहते हैं जो की उनकी मुद्रा पर जल से अभिषेक करते रहते हैं।
छिन्नमस्तिका जयंती पर बिष्णुपुर के छिन्नमस्ता मंदिर में कराएं अनुष्ठान और पाएं कर्ज से मुक्ति : 7-मई-2020
कमला शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द कमल से हुई है। देवी के विराजमान होने का आसन कमल का फूल ही है जिसके कारण उन्हें कमला देवी कहा जाता है। कमल का फूल पवित्रता एवं शुभता का प्रतीक है। अनेकों देवी-देवताओं की प्रतिमा में कमल के पुष्प का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। परन्तु देवी माँ से इसका जुड़ाव विभिन्न प्रकार से किया जाता है।
इनकी प्रतिमा में हाथियों द्वारा किए गए जलाभिषेक को बरसात के मौसम समान माना गया है। जिस प्रकार हाथी द्वारा जल से देवी का जलाभिषेक होता है। उसी प्रकार बारिश से देवी अपने भक्तों व प्राणियों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। जिसके कारण उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उनके घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
व्यापार वृद्धि के लिए कराएं कमला महालक्ष्मी अनुष्ठान
कमला महालक्ष्मी की आराधना यदि महादेव पुत्र गणपति जी के साथ की जाएं तो उसका फल अत्यंत ही लाभकारी प्रमाणित होता है। इनकी पूजा रात्रि के समय करना शुभ माना जाता है। पूजा में कमल का फूल व मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। देवी अपने भक्तों से जितनी ही प्रसन्न रहेंगी उनके भक्तों के जीवन में उतना धन-धान्य का भंडार भरा रहेगा। वह सदैव कष्टों से मुक्त सुखद जीवन व्यतीत करेंगे।
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