भगवान शिव की बसाई नगरी, अपने गंगा घाटों , खान- पान , मलमल और रेशम के कपड़े के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। वही इस शहर की आस्था को बढ़ावा देते है इस शहर के मंदिर । वाराणसी में हर भगवान के मंदिर हैं । इसमे से एक है दुर्ग विनायक मंदिर , जो गणेश जी का प्रसिद्ध मंदिर है।
भगवान शिव के पुत्र गणेश जी के काशी में 67 पीठ है । इसमें 11 गणेश पीठ है और 56 विनायक पीठ । इन सभी पीठों का अलग अलग महत्त्व बताया गया है , 56 विनायकों में से एक हैं दुर्ग विनायक । यह मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित हैं। यहाँ कुंड के दक्षिण कोने में विराजमान है साक्षात दुर्ग विनायक । दुर्ग विनायक की मान्यता हैं कि इनके दर्शन, पूजा-अर्चना से कष्टों का निवारण हो जाता हैं और तो और ऐसा कहा गया है कि कलयुग में काली और विनायक की पूजा से तत्काल फल प्राप्त होता जाता हैं । इस मंदिर की सुन्दरता और बढ़ती है अगस्त मास में आने वाली गणेश चतुर्थी पर । इस दौरान दुर्ग विनायक का भव्य रूप से श्रृंगार होता है । भक्तों का तांता यह बंध जाता है , लंबी लंबी कतारों में भक्त घंटो खड़े रहकर यहाँ विनायक के भव्य रूप दुर्ग विनायक के दर्शन करते हैं। इसके साथ साथ प्रत्येक माह में आने वाली चतुर्थी को श्रद्धालुओं की एक लम्बी कतार यहाँ लगी रहती है।
गणेश चतुर्थी पर दुर्ग विनायक मंदिर वाराणसी में कराएं गणपति बप्पा का विशेष पूजन - स्थापना से विसर्जन तक: 22 अगस्त 2020 - 1 सितम्बर 2020
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
इस श्लोक का उच्चरण हर शुभ कार्य से पहले किया जाता है जिससे कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाता है । दुर्ग विनायक की एक और मान्यता है - कहा जाता है किसी भी नौकरी, परियोजना के पहलेयहाँ पूजा करने से उस उघम मे सफलता प्राप्त होना निश्चित हैं।
गणेश जी का विनायक रूप काशी की रक्षा करने की भूमिका को स्पष्ट करना हैं । माना जाता है गणेश जी देव सेना के नायक थे और काशी की रक्षा का भार इन्ही के कन्धों पर था।
दुर्ग विनायक मंदिर में पूजा का समय प्रातः 4:00 से दोपहर 12:00 बजे तक तथा संध्या में 4:00 से रात्रि 10:00 बजे तक है । प्रतिदिन 5:00 बजे यहां मंगल आरती होती है , 12 बजे दोपहर भोग आरती , संध्या 7 :00 बजे संध्या आरती व रात 10:00 बजे शयन आरती होती हैं ।
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