07 मई 2021, यानी कल शुक्रवार के दिन हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार वरूथिनी एकादशी मनाई जाएगी।
वैसे तो हिंदू त्योहारों को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन कोरोना के चलते हर त्योहार के रंग फिके से पड़ गये है।
कहा जाता है कि हिंदू पंचांग में वैशाख के कृष्ण पक्ष में एकादशी तारीख को बरूथिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन वरूथिनी एकादशी है और साथ ही साथ एक शुभ योग विष्कुंभ भी बन रहा है। इस योग को शास्त्रों में उत्तम योग माना गया है। कहा जाता है कि इस शुभ योग के दौरान किए गए कार्य में अवश्य सफलता प्राप्त होती है।
तो आइए जानते है कि वरूथिनी एकादशी का महत्व
हिंदू धर्म में इस पवित्र व्रत को रखने की बहुत मान्यताएं हैं भक्तों का विश्वास है कि इस व्रत को विधि- विधान के साथ पूरे करने से जीवन के सारे दुखों से मुक्ति मिलती हैं। लोगों की यह भी आस्था है कि व्रत को रखने से कन्यादान और सालों तक के पापों के बराबर होता हैं। इस दिन शुभ योग और पुण्य प्रभाव से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष दिलाता है।
बरुथिनी एकादशी व्रत: इन शुभ मुहूर्त में करें पूजा
अभिजित मुहूर्त- 11:39 ए एम से 12:32 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:18 पी एम से 03:11 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:31 पी एम से 06:55 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:44 पी एम से 12:26 ए एम, मई 08 तक।
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वरुथिनी एकादशी व्रत: इन मुहूर्त में न करें पूजा
राहुकाल- 10:26 ए एम से 12:05 पी एम तक।
यमगण्ड- 03:25 पी एम से 05:04 पी एम तक।
गुलिक काल- 07:06 ए एम से 08:46 ए एम तक।
दुर्मुहूर्त- 08:06 ए एम से 08:59 ए एम तक।
वर्ज्य- 10:59 पी एम से 12:44 ए एम, मई 08 तक। उसके बाद 12:32 पी एम से 01:25 पी एम तक।
पंचक- पूरे दिन।
वरुथिनी एकादशी व्रत मुहूर्त-
वरुथिनी एकादशी पारण मुहूर्त : 8, मई को 05:35:17 से 08:16:17 तक
अवधि : 2 घंटे 41 मिनट
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