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दीपदान क्रियाविधि( process of deepdan)_
1. सबसे पहले मिट्टी(soil), पीतल (brass), तांबा (copper), चांदी(silver) या सोने (gold) की दीपक लें। धातु वाले दीपक को अच्छे से साफ कर लें। और मिट्टी के दिये को कुछ घंटों तक के लिए पानी में भिगो दें। उसके बाद हीं प्रयोग में लाएं।
2. दीपदान करने हेतु सूर्यास्त (Suryast) के बाद यानी प्रदोषकाल में घी, तेल, चावल, दीपक, गेहूं आदि लेकर मंदिर जाएं। घी में रूई की बत्ती का इस्तेमाल तथा तेल में लाल धागे या कलावे (kalava) का प्रयोग करें।
3. मंदिर में दीपक रखने से पहले भूमि पर अक्षत (akshat), गेहूं (wheat) या सप्तधान्य का आसन दें। दीपक को गलती से भी सीधे जमीन पर ना रखें। क्योंकि कालिका पुराण के अनुसार, सब कुछ सहने वाली पृथ्वी को दीपक का ताप (temperature) और अकारण किया गया पदाघात सहन नहीं होता है।
4. मंदिर (temple) में जलाए जाने वाले मिट्टी के दीपक और बत्तियों की संख्या का निर्धारण खासकर व्यक्ति की मनोकामना (manokamna) और समयानुसार की जाती है।
5. दीपदान में आटे का बना दीपक भी का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए आटे की मदद से छोटी सी दीप बनाएं। और पतली सी रुई की बत्ती बनाकर उसमें तेल (oil) डालें। और इस दीपक को बरगद या पीपल के पत्ते (pipal leaves) के सहारे नदी (river) में प्रवाहित कर दें।
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दीपदान से लाभ ( profit of deepdan)_1. लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करते हैं, दीपदान।
2. जीवन के सारे अंधकार को दूर कर ( remove darkness from life) लाइफ में उजाले भरते हैं, दीपदान।
3. मोक्ष (moksh) की प्राप्ति हेतु करते हैं दीपदान।
4. अकाल मृत्यु (premature death) से बचने हेतु की जाती है, दीपदान।
5. अपने पूर्वजों (ancestors) की सद्गति के लिए होता है यह दीपदान।
6. राहु (rahu), केतु(ketu), शनि(shani), और यम के बुरे प्रकोप से बचने हेतु की जाती है दीपदान।
7. किसी भी तरह की कलह, कलेश (kalesh) और अला-बला से बचने के लिए होती है दीपदान।
8. घर में धन-धान्य की स्थिति बनी रहे और माता लक्ष्मी (goddess lakshmi) की कृपा हमेशा बरसती रहे, इसलिए करते हैं यह दीपदान।
9. कोई भी पूजा, पाठ या मांगलिक कार्य (mangalik karya) की सफलता के लिए होती है दीपदान।
10. कार्तिक मास (kartik maas) में भगवान श्री विष्णु (lord Vishnu) या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से संपूर्ण तीर्थों (tirth), यज्ञों (yagyan) और दानों (donation) का फल मिलता है।
11. शत्रु (enemy) का नाश करने में सहायक (helpful) होता है, यह दीपदान।
12. संतान सुख प्रदान करते हैं यह दीपदान।
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