नवग्रहों के रत्नों को सभी रत्नों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सूर्य के लिए माणिक का उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार चंद्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए लहसुनिया तथा केतु के लिए लाजावत का प्रयोग होता है। व्यक्ति अगर रत्न धारण करना चाहते हैं तो उसके साथ उपयोग होने वाले धातु पर भी ध्यान रखना होता है।
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इन्हें धारण करने वाले व्यक्ति को अपनी राशि का ख्याल रखना अनिवार्य है। जो राशियां ठंडी तासीर की होती हैं उनके जातकों को गरम तासीर के धातु का प्रयोग करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर हो राशियां गर्म तासीर की होती है उनके जातकों को ठंडी तासीर वाले धातु का प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण स्वरूप मेष राशि, सिंह राशि और धनु राशि के लोगों को चांदी में ही नग पहनना चाहिए तथा कर्क, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि वालों को सोने का उपयोग करना चाहिए।
यदि आप शुद्ध रत्न नहीं खरीद सकते हैं तो धातुओं को ही पानी में उबालकर उस पानी का सेवन करें। ये भी लाभदायक सिद्ध होगा। अपितु अगर आप रत्न खरीदने और धारण करने में सक्षम हैं तो वो बेहतर होगा। भारत में वर्षों से इन रत्नों की सहायता से लोगों के रोगों का उपचार किया जा रहा है। वैद्य और हकीमों द्वारा भी इनका भरपूर प्रयोग किया जाता था। तो आइए जानते हैं कि कैसे इन रत्नों की सहायता से व्यक्ति अपनी बीमारियों को दूर कर सकता है।
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- यदि आपका शरीर तप रहा हो या आपको जलन हो रही हो तो इसके लिए आप माणिक के भस्म का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए ये बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके अतिरिक्त चक्षु रोग, कोष्ठबद्ध्ता, उदर शूल, आदि समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए इसका उपयोग लाभदायक है। ये भी माना जाता है कि इसके उपयोग से व्यक्ति में नपुंसकता हो तो वो भी दूर होती है।
- अगर आपको कैल्शियम की कमी के वज़ह से कोई रोग सहना पड़ रहा है तो इसके लिए आप मोती का उपयोग करें। मोती के भस्म से क्षयरोग, खांसी रक्तचाप, पुराना जर, श्वास कष्ट और हृदय के रोगों में भी आराम होता है।
- अगर आप गर्भवती हैं और आपका बच्चा गिरने के संभावना उत्पन्न हो रही हो मूंगे को केवड़े में घिस लें और लेप बना लें। इसके पश्चात इस लेप को अपने पेट पर लगाएं। इसके अतिरिक्त अगर आप अपने शरीर को तंदुरुस्त रखना चाहते हों तो भी मूंगा बेहद लाभकारी होता है। मूंगे को बारीक पीस लें और गुलाब जल में डालकर छाया में रख दें। जब ये सूख जाए तो इसे शहद के साथ ग्रहण करें। अगर आपको पांडुरोग अथवा खांसी की समस्या है तो इससे उसका भी निवारण होगा।
- यदि आप मूत्र रोग, हृदय रोग अथवा रक्त व्याधि जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो पन्ने को केवड़े या गुलाब जल में मिला लें और उसका उपयोग करें। इसके अलावा पन्ने के भस्म से आप दमा, बावसीर, पंदुरोग, आदि का भी उपचार कर सकते हैं।
- हीरे के भस्म को भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे भगंदर, क्षयरोग, मधुमेह, जलोदर, सूजन, आदि का इलाज किया का सकता है। इसके अतिरिक्त वीर्य बढ़ने के लिए भी हीरे का प्रयोग किया जाता है।
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