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चंद्र ग्रहण 2020 : गुरु पूर्णिमा पर कैसा होगा चंद्र ग्रहण का प्रभाव

Myjyotish Expert Updated 02 Jul 2020 11:53 AM IST
गुरु पूर्णिमा पर कैसा होगा चंद्र ग्रहण का प्रभाव
गुरु पूर्णिमा पर कैसा होगा चंद्र ग्रहण का प्रभाव - फोटो : Myjyotish
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चंद्र ग्रहण 2020 : इस वर्ष का तीसरा चंद्र ग्रहण 5 जुलाई रविवार को गुरु पूर्णिमा के पर्व के दिन होने वाला है। यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा । उपछाया चंद्र ग्रहण के समय केवल पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है जिसके कारण इसे उपछाया चंद्र ग्रहण ही कहा जाता है। यह चंद्र ग्रहण अमेरिका , यूरोप एवं ऑस्ट्रेलिया में देखा जाएगा।  यह चंद्र ग्रहण  धनु राशि में लगने वाला है , जिस में सूर्य की स्थिति मिथुन राशि में होगी। वैसे तो यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा परन्तु इस समय भी ग्रहण के विभिन्न नियमों का पालन करना जरुरी होगा। इसके कारण ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों का असर व्यक्ति पर नहीं पड़ सकेगा।

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गुरु पूर्णिमा पर क्या करना चाहिए ?


गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की उपासना करनी चाहिए। हिन्दू शास्त्र के अनुसार इस दिन महर्षि वेद व्यास , जो की महाभारत के रचयिता थे , का जन्म हुआ था। इसके कारण यह दिन उनकी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु स्वरुप सत्य भगवान के सत्यनारायण कथा का पाठ करना चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में उत्पन्न होने वाली विभिन्न परेशानियां दूर हो जाती है। सफलता के मार्ग में जिन रुकावटों का सामना वह लंबे समय से कर रहा हो , वह सभी से उसे छुटकारा मिल जाता है। कथा के पाठ के पश्चात् ब्राह्मणों को भोज अवश्य करवाना चाहिए। इससे ब्राह्मणों एवं पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 
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जाने कब है सूतक का समय ? और इस दौरान क्या करना चाहिए ?

चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक का समय आरम्भ हो जाता है। वही सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक का समय 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। सूतक काल में पूजा - पाठ करना मना होता है। परन्तु इस दौरान मंत्रों का जाप करना एवं दान - पुण्य करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण 5 जुलाई को होने वाले चंद्र ग्रहण में सूतक का समय मान्य नहीं होगा। इससे पहले 5 जून का चंद्र ग्रहण भी उपछाया चंद्र ग्रहण ही था। जिसके कारण उस समय भी सूतक का समय मान्य नहीं था। चंद्र ग्रहण के प्रभावों से बचने के लिए विभिन्न  नियमों के बारें में बताया गया है । इन नियमों में रोगी , बुजुर्ग एवं बच्चों को ख़ास ध्यान रखने के लिए कहा जाता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।

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