बगलामुखी जयंती पर कैसे करें देवी बगलामुखी की उपासना
दस महाविद्याओं में से आठवीं विद्या देवी बगलामुखी है। इनकी उत्पत्ति वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से हुई थी। तभी से यह दिन बगलामुखी जयंती के रूप में मनाया जाता है। माँ बगलामुखी की उपासना करने से विशेष कार्यों में सफलता मिलती है। देवी बगलामुखी तंत्र मंत्र की प्रमुख देवी है। शत्रुओं का नाश करने के लिए इनकी पूजा की जाती है और इनकी कृपा से शत्रुओं का नाश होता है इसलिए इन्हें शत्रुनाशिनी भी कहते हैं।
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कोर्ट-कचहरी से संबंधित मामलों में भी सफलता पाने के लिए देवी बगलामुखी की आराधना करना उत्तम माना जाता है। जिस प्रकार सभी देवी देवताओं का एक प्रमुख रंग होता है जैसे भगवान श्री गणेश का हरा, शनिदेव का काला, माँ दुर्गा का लाल रंग है। इसी प्रकार धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि माँ बगुलामुखी को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इन्हें पीले रंग की वस्तुएं चढ़ाई जाती है और इनका एक नाम पीतांबरी भी है। आइए जानते हैं की आज बगलामुखी जयंती के दिन देवी बगलामुखी की उपासना किस प्रकार करें।
बगलामुखी जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें। आपको जिस स्थान पर पूजा करनी है वहा पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें। पूजा करते समय आपका मुख पूर्व की ओर हो इस बात को ध्यान में रखते हुए पूजा स्थान का चयन करें। गंगा जल से स्थान की शुद्धि के बाद एक चौकी पर माँ बगलामुखी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उसके बाद देवी बगलामुखी के सम्मुख हाथ में पीले अक्षत, हल्दी, पीले फूल और दक्षिण लेकर व्रत का संकल्प करें और देवी को खड़ी हल्दी की माला और पीले फल भेंट करें। पीले रंग की चुनरी अर्पित करना और भी उत्तम फलदायी होगा। उसके बाद देवी के सम्मुख धूप, दीप और अगरबत्ती जलायें।
उसके बाद देवी को मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत कर रहा है वह ध्यान रखें कि उसे शाम को कुछ भी खाना पीना नहीं है। हाँ, रात्रि में फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। जहाँ पर आप ने सुबह पूजा की थी रात में उस स्थान के समीप बैठकर देवी बगलामुखी के मंत्र का जप करें और उसके बाद अगले दिन पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण कर अपना व्रत खोलें।
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देवी बगलामुखी को पीला रंग अति प्रिय है। जानते है की धार्मिक दृष्टिकोण से यह कैसा रंग माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण की बात करें तो उसमें यह रंग पवित्रता, आरोग्य और उत्साह का प्रतीक माना गया है। किसी भी प्रकार के रोग और महामारी से बचने के लिए देवी बगलामुखी की हल्दी और केसर से विशेष पूजा की जाती है। देवी बगलामुखी को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनकी पूजा में पीले रंग की चीजों का उपयोग किया जाता है।
देवी बगलामुखी की पूजा से दुश्मन, रोग और कर्ज से परेशान लोगों को लाभ मिलता है। इनकी पूजा तंत्र साधना के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है क्योंकि यह तंत्र मंत्र की देवी हैं।यूं तो देवी बगलामुखी के भारत में अनेक मंदिर हैं लेकिन मध्यप्रदेश दतिया स्थित पीतांबरा पीठ और उज्जैन के निकट नलखेड़ा स्थित मंदिर प्रमुख माने जाते हैं।
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