उज्जैन का महाकाल मंदिर अकेला एक ऎसा मंदिर जिसके परिसर में प्रमुख 42 देवताओं के मंदिर विराजमान
उज्जैन मंदिर को देश के प्रमुख धर्म स्थलों में स्थान प्राप्त है. इस मंदिर स्थान को काफी का प्रभावी होता है. इस स्थान पर कई सारे देवी देवताओं को स्थापित किया गया है. इस स्थन को देव मंदिर भी कहा गया है. यहां इस समय पर देवताओं की स्थापना होने से इस स्थान का महत्व और भी अधिक वृद्धि पाता है. श्री महाकाल मन्दिर स्थान में बहुत से छोटे ओर बड़ी देवी देवताओं स्थल मौजूद हैं.
उज्जैन के महाकाल स्थान में 42 मन्दिरों की उपस्थिति है जिसमें से मुख्य रुप से इस प्रकार स्थित हैं :-
श्री लक्ष्मी नृसिंह मन्दिर जो मन्दिर परिसर के गलियारे में स्थित है.रिद्धि-सिद्धि गणेशजी का मन्दिर जो लक्ष्मी नृसिंह मन्दिर के ही आगे स्थित है.विट्ठल पंडरीनाथ मन्दिर है, जो मन्दिर के गलियारे में स्थित है. श्री राम दरबार मन्दिर, श्री अवन्तिका देवी का मन्दिर राम दरबार मन्दिर के पीछे स्थापित है. श्री चन्द्रादीप्तेश्वर मन्दिर, श्री मंगलनाथ का मन्दिर चन्द्रादीप्तेश्वर मन्दिर से आगे भूमिपुत्र मंगल शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान है. श्री अन्नपूर्णा देवी का मन्दिर मंगलनाथ शिवलिंग से आगे स्थापित है. वाच्छायन गणपति महाकाल मन्दिर के मुख्य प्रवेश द्वार (चांदीद्वार) के पास पूर्व दिशा में प्रतिमा स्थापित है, प्रवेश द्वार के गणेशजी की मूर्ति चांदी द्वार के ऊपर गणेश प्रतिमा विराजित है
महाकाल मन्दिर परिसर में ही गर्भ गृह में विराजित ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान श्री महाकाल विराजमान है. गर्भगृह में ही देवी पार्वती, श्री गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमाएं हैं. श्री ओंकारेश्वर महादेव मन्दिर है. श्री नागचन्द्रेश्वर महादेव का मन्दिर है, इस मन्दिर के पट वर्ष में एक बार नागपंचमी को ही खुलते हैं. सिद्धि विनायक मन्दिर. साक्षी गोपाल मन्दिर, संकटमोचन सिद्धदास हनुमान मन्दिर. स्वप्नेश्वर महादेव मन्दिर.
Mahakaleshwar Temple: महाकाल के चमत्कारी शिवलिंग से ही बना हुआ पृथ्वी का संतुलन
महाकाल परिसर में ही बृहस्पतेश्वर महादेव मन्दिर है. शिव की प्राचीन प्रतिमाएं त्रिविष्टेश्वर महादेव मन्दिर में स्थित है. मां भद्रकाले मन्दिर, नवग्रह मन्दिर, मारूतिनन्दन हनुमान मन्दिर, श्री राम मन्दिर, श्री नीलकंठेश्वर मन्दिर, मराठों का मन्दिर नीलकंठेश्वर महादेव के पास स्थित है, गोविन्देश्वर महादेव मन्दिर, वृद्धकालेश्वर महादेव महाकाल मन्दिर, सूर्यमुखी हनुमान मन्दिर कोटितीर्थ के प्रदक्षिणा मार्ग पर, लक्ष्मीप्रदाता मोढ़, कोटेश्वर महादेव मन्दिर यह महाकाल के गण तथा कोटितीर्थ के अधिष्ठाता है. सप्तऋषि मन्दिर, अनादिकल्पेश्वर महादेव मन्दिर, श्री बालविजय मस्त हनुमान मन्दिर यह एक चैतन्य देवस्थान माना जाता है. श्री ओंकारेश्वर महादेव का मन्दिर, श्री वृद्धकालेश्वर महाकाल (जूना महाकाल) श्री बाल हनुमान मन्दिर के पास स्थित है, पवित्र कोटितीर्थ महाकाल के आंगन का जलतीर्थ है.
महाकाल आरती दर्शन फल
भगवान श्री महाकाल की प्रतिदिन नियम पूर्वक पूजन आरती होती है. प्रतिदिन प्रात: भस्म आरती होती है, जिसका समय चार से छह बजे तक होता है. भस्म आरती का समय केवल श्रावण मास में परिवर्तन किया जाता है. इसी तरह महाशिवरात्रि पर्व पर वर्ष में एक बार भस्म आरती दोपहर में होती है. विश्वभर में एकमात्र श्री महाकाल हैं, जिनकी वैदिक मंत्रों, स्त्रोतपाठ, वाद्ययंत्रों, शंख, डमरू, घंटी, घड़ियालों के साथ आरती होती है. स्म्ध्या समय पश्चात गर्भगृह में बाबा महाकाल का जलाभिषेक बन्द रहता है और इस समय पूजन-श्रृंगार किया जाता है. शयन आरती रात्रि में होती है और इसके बाद गर्भगृह के पट बन्द हो जाते हैं, जो अगले दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त समय पर खुलते हैं. इस समस्त पूजन में सभी के कल्याण की कामनाएं निहित होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का आधार है.
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