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Kundli Matching: कुंडली मिलान का महत्व और नियम !

Myjyotish Expert Updated 11 Jan 2021 06:40 PM IST
कुंडली मिलान
कुंडली मिलान - फोटो : Myjyotish
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भारतीय संस्कृति में विवाह से पूर्व कुंडली मिलान बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वैवाहिक संबंध कुंडली पर ही तय होते हैं। अगर कुंडली ना मिले तो एक-दूसरे को वर-वधू पसंद आ जाने के बावजूद भी रिश्ता त्याग दिया जाता है। वर और कन्या को देखकर उनके बीच 36 गुणों को मिलाया जाता है। जिसमें 36 में 18 गुण मिलने ही चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह से पहले कुंडली का मिलाना जरूरी है क्योंकि इससे ये पता चलता है कि लड़का-लड़की के नक्षत्र और ग्रह एक-दूसरे के लिए अनुकूल है यै प्रतिकूल।

अगर वर-वधू की कुंडली नहीं मिलती तो दोनों का जीवन आगे चलकर कष्टदायी हो जाता है और अगर कुंडली मिल जाती है तो उनका पूरा जीवन खुशी के साथ बीतता है। इसलिए भारतीय परिदृश्य में कुंडली मिलान का महत्व है।

कुंडली मिलान का महत्वः

दो जोड़ों की कुंडली को उनके ग्रहों की स्थिति और मनोदशा के आधार पर गुण दिए गए हैं, जो तब यह देखने के लिए जोड़े जाते हैं कि क्या दोनों व्यक्तियों के सभी गुण मिल रहे हैं। कुंडली का जोड़ यह भी दर्शाता है कि जोड़ा मांगलिक है या नहीं।

कुंडली मिलान के नियमः
  • यदि कन्या की राशि वर के सप्तमेश का उच्च स्थान हो तो दांपत्य-जीवन में प्रेम बढ़ता हैै। 
  • वर के सप्तमेश का नीच स्थान यदि कन्या की राशि हो तो भी वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
  • वर का शुक्र जिस राशि में हो वही राशि यदि कन्या की हो तो विवाह कल्याणकारी होता है।
  • वर की सप्तमांश राशि यदि कन्या की राशि हो तो दांपत्य-जीवन सुखकारक होता है। संतान, ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
  • वर का लग्नेश जिस राशि में हो, वही राशि कन्या की हो या वर के चंद्र लग्न से सप्तम स्थान में जो राशि हो वही राशि यदि कन्या की हो तो दांपत्य-जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है।  
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