अगर वर-वधू की कुंडली नहीं मिलती तो दोनों का जीवन आगे चलकर कष्टदायी हो जाता है और अगर कुंडली मिल जाती है तो उनका पूरा जीवन खुशी के साथ बीतता है। इसलिए भारतीय परिदृश्य में कुंडली मिलान का महत्व है।
कुंडली मिलान का महत्वः
कुंडली मिलान के नियमः
- यदि कन्या की राशि वर के सप्तमेश का उच्च स्थान हो तो दांपत्य-जीवन में प्रेम बढ़ता हैै।
- वर के सप्तमेश का नीच स्थान यदि कन्या की राशि हो तो भी वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
- वर का शुक्र जिस राशि में हो वही राशि यदि कन्या की हो तो विवाह कल्याणकारी होता है।
- वर की सप्तमांश राशि यदि कन्या की राशि हो तो दांपत्य-जीवन सुखकारक होता है। संतान, ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।
- वर का लग्नेश जिस राशि में हो, वही राशि कन्या की हो या वर के चंद्र लग्न से सप्तम स्थान में जो राशि हो वही राशि यदि कन्या की हो तो दांपत्य-जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है।