myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   astrology swasthisk significance poojan

पूजन में क्यों बनाया जाता है स्वास्तिष्क ? जानें चमत्कारी कारण

Myjyotish Expert Updated 26 Oct 2020 12:13 PM IST
Astrology
Astrology - फोटो : Myjyotish
विज्ञापन
विज्ञापन
ऋग्वेद में स्वस्तिक के देवता सवृन्त का उल्लेख है। स्वास्तिष्क का आविष्कार आर्यों ने किया और पूरे विश्व में यह फैल गया। भारतीय संस्कृति में इसे बहुत ही शुभ कल्याणकारी और मंगलकारी माना गया है। स्वास्तिष्क शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्तिका' अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वही स्वस्तिक है, 

 द्वार पर स्वास्तिष्क :द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वस्तिक को चिन्न लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है। इसे दरिद्रता का नाश होता है। घर के मुख्य द्वार के दोनों और अष्ट धातु और उपर मध्य में तांबे का स्वास्तिष्क लगाने से सभी तरह का वस्तुदोष दूर होता है।


पंच धातु का स्वास्तिष्क बनवा के प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद चौखट पर लगवाने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। चांदी में नवरत्न लगवाकर पूर्व दिशा में लगाने पर वास्तु दोष दूर होकर लक्ष्मी प्रप्ति होती है। वास्तुदोष दूर करने के लिए 9 अंगुल लंबा और चौड़ा स्वास्तिष्क सिंदूर से बनाने से नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मकता में बदल जाती है।

घर आंगन में बनाएं स्वस्तिक : घर या आंगन के बीचोबीच मांडने के रूप में स्वास्तिष्क बनाया जाता है। इसे बनाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है।स्वास्तिष्क  के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है। पितृ पक्ष में बालिकाएं संजा बनाते समय गोबर से स्वास्तिष्क बनाती है। इससे घर में शुभता, शांति और समृद्धि आती है और पितरों की कृपा भी प्राप्त होती है।
मांगलिक कार्यों में लाल पीले रंग का स्वस्तिक  अधिकतर लोग स्वास्तिष्क को हल्दी से बनाते हैं। ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर पीले रंग का स्वास्तिष्क बनाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। यदि कोई मांगलिक कार्य करने जा रहे हैं तो लाल रंग का स्वास्तिष्क बनाएं। इसके लिए केसर, सिंदूर, रोली और कुंकुम का इस्मेमाल करें।

धार्मिक कार्यों में रोली, हल्दी या सिंदूर से बना स्वास्तिष्क आत्मसंतुष्टी देता है। त्योहारों पर द्वार के बाहर रंगोली के साथ कुमकुम, सिंदूर या रंगोली से बनाया गया स्वास्तिष्क मंगलकारी होता है। इसे बनाने से देवी और देवता घर में प्रवेश करते हैं। गुरु पुष्य या रवि पुष्य में बनाया गया स्वास्तिष्क शांति प्रदान करता है।
 

आर्थिक वृद्धि हेतु शरद पूर्णिमा पर कराएं माँ लक्ष्मी का श्री सूक्त पाठ एवं 700 आहुतियों के साथ विशेष हवन - 31 अक्टूबर 2020 - महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर


 देवता होंगे प्रसन्न  स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है वह तुरंत प्रसन्न होता है। यदि आप अपने घर में अपने ईष्टदेव की पूजा करते हैं तो उस स्थान पर उनके आसन के ऊपर स्वास्तिष्क जरूर बनाएं। प्रत्येक त्योहार जैसे नवरात्रि में कलश स्थापना, दीपावली पर लक्ष्मी पूजा आदि अवसरों पर स्वस्तिक बनाकर ही देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है।

देव स्थान पर स्वस्तिक बनाकर उसके ऊपर पंच धान्य या दीपक जलाकर रखने से कुछ ही समय में इच्छीत कार्य पूर्ण होता है। इसके अलावा मनोकामना सिद्धि हेतु मंदिर में गोबर या कंकू से उलटा स्वास्तिष्क बनाया जाता है। फिर जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वहीं जाकर सीधा स्वास्तिष्क बनाया जाता है।

देहली पूजा प्रतिदिन सुबह उठकर विश्वासपूर्वक यह विचार करें कि लक्ष्मी आने वाली हैं। इसके लिए घर को साफ-सुथरा करने और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद सुगंधित वातावरण कर दें। फिर भगवान का पूजन करने के बाद अंत में देहली की पूजा करें। देहली (डेली) के दोनों ओर स्वस्तिक बनाकर उसकी पूजा करें। स्वास्तिष्क के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलवा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दें। इस उपाय से धनलाभ होगा।

 व्यापार वृद्धि हेतु  यदि आपके व्यापार या दुकान में बिक्री नहीं बढ़ रही है तो 7 गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां सुखी हल्दी से स्वास्तिष्क बनाएं और उसकी पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद वहां आधा तोला गुड़ का भोग लगाएं। इस उपाय से लाभ मिलेगा। कार्य स्थल पर उत्तर दिशा में हल्दी का  स्वास्तिष्क बनाने से बहुत लाभ प्राप्त होता है।

शरद पूर्णिमा पर कराएं श्री कृष्ण की विशेष पूजा, होंगी समस्त आकस्मिक परेशानियां दूर - बांके बिहारी मंदिर, वृन्दावन 31 अक्टूबर 2020

सुख की नींद सोने हेतु  यदि आप रात में बैचेन रहते हैं। नींद नहीं आती या बुरे बुरे सपने आते हैं तो सोने से पूर्व स्वास्तिष्क को तर्जनी से बनाकर सो जाएं। इस उपाय से नींद अच्छी आएगी।

मंगल कलश  एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली,स्वास्तिष्क का चिन्ह बनाकर उसके गले पर मौली बांधी जाती है। इसे मंगल कलश कहते हैं। यह घर में रखने से धन, सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। घर स्थापना के समय भी मिट्टी के घड़े पर स्वास्तिष्क बनाया जाता है।
  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms and Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree
X