क्या होते हैं इसके कारण?
कुंडलियों का ठीक प्रकार से मिलान न होना। नाड़ी दोष का होना, स्त्री या पुरुष की कुंडली के सप्तम भाव में दूषित ग्रहों का होना, सप्तम भाव में ग्रहण दोष होना। यदि पति और पत्नी के 36 में से बहुत कम गुण मिलते हों।
कैसे करें उपाय
पुरुष अपने इष्ट देवता या इष्ट देवी की नियम से पूजा-अर्चना करें। पूर्वजों के निमित्त दान, पिंड दान और तर्पण आदि करवाएं। क्योंकि विवाह टूटने के पीछे कहीं ना कहीं पितरों की असंतुष्टि छुपी हो सकती है।
यदि किसी स्त्री का विवाह संकट में आ गया है तो वे नियमित रूप से शिव परिवार की अर्चना करें। इसके साथ ही वे पार्वती जी को नियमित हर गुरुवार सुहाग की सामग्री भेंट करें।
विवाह को टूटने से बचाने के लिए शुक्लपक्ष के हर शुक्रवार को पार्वती जी को हरी दाल अर्पित करें। खड़ी हरी मूंग देवी को अर्पित करनी चाहिए।
विवाह सुख प्राप्ति हेतु
हर सोमवार को श्वेत पत्थर के शिवलिंग को दूध अर्पित करने से विवाह सुख निश्चित मिलता है। साथ पार्वती जी को सिंदूर देने और उनके चरणों से लिया गया सिंदूर स्त्रियां अपनी मांग में भरें, इससे विवाह सुख स्थायी रूप से प्राप्त होता है।
मंगल ग्रह दोषों का निवारण करने से विवाह में आ रही समस्याएं खत्म होती हैं।
हर गुरुवार के दिन चना दाल के बीच कच्ची हल्दी रखकर किसी सुहागिन को दान करें। या किसी देवी मंदिर में जाकर इसको रख आएं। इससे विवाह सकुशलता से बचाया जा सकता है।
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