गुप्त नवरात्रि काल में अनेकों साधक महाविद्या हेतु मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की आराधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि पर्व के दौरान माँ दुर्गा जी की आराधना महाविद्या के दस स्वरूपों में की जाती है। समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए माँ की गुप्त रूप से साधना की जाती है। एक वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्रियाँ पड़ती हैं। जिनके दौरान साधक तंत्रिक पूजन के द्वारा भी माँ भगवती की आराधना करके उन्हें प्रसन्न करते हैं।
कुछ वैदिक अनुष्ठानों के द्वारा भी यह कार्य लाभदायक होते हैं, जैसे :-
पति प्राप्ति हेतु मंत्र
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।।
माँ दुर्गा सप्तशती का यह संपुठित मंत्र पाठ किसी योग्य ब्राहम्ण से करवाना चाहिए तथा उसी दौरान माँ दुर्गा से प्रार्थना करनी चाहिए कि, "हे माँ! मैं आपकी शरण में आयी हूँ। मुझे शीघ्र अति शीघ्र सौभाग्य प्राप्ति का वर दीजिये तथा मेरी मनोकामना को भी स्वीकार करिये। माँ भगवती की कृपा से सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
पत्नी प्राप्ति हेतु मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।
माँ दुर्गा सप्तशती का यह संपुटित मंत्र पाठ किसी योग्य ब्राह्मण से करवाना चाहिए। इससे आपकी मनोकामना शीघ्र और अवश्यतम पूर्ण होगी।
शत्रु पर विजय एवं शांति प्राप्ति हेतु मंत्र
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति हेतु मंत्र
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय।
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