हिंदू दो अलग-अलग कैलेंडर का अनुसरण करते हैं - एक जो चंद्रमा पर आधारित है और दूसरा सूर्य पर। हिंदू सौर कैलेंडर के अनुसार शुभ दिनों में से एक कुंभ संक्रांति है जो मकर से कुंभ तक सूर्य के पारगमन का प्रतीक है। सौर कैलेंडर के अनुसार ग्यारहवां महीना भी शुरू होता है।
कुंभ संक्रांति का महत्व:
इस दिन श्रद्धालु गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा, नर्मदा आदि पवित्र स्थानों जैसे संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम) जैसी पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, हरिद्वार और काशी में भक्तों का ताँता लगा रहता है, जो बड़ी संख्या में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। यह अनुष्ठान न केवल शरीर बल्कि मन को भी शुद्ध करने का प्रतीक है। पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से, लोग उन पापों से खुद को छुटकारा दिलाते हैं जो उन्होंने किए हैं। यह शुद्धिकरण की प्रक्रिया का प्रतीक है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि व्यक्ति जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के दुष्चक्र से खुद को मुक्त कर सकता है। संक्षेप में, यह मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करने के बारे में है।
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बारह वर्षों में एक बार, कुंभ मेले में भाग लेने के लिए गोदावरी, शिप्रा, गंगा और संगम नदियों के तट पर स्थित नासिक, हरिद्वार, उज्जैन और प्रयागराज जैसे स्थानों पर भक्त एकत्रित होते हैं। यह पृथ्वी पर सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है।
इस दिन लोग क्या करते हैं?
पवित्र नदियों में स्नान करने के अलावा, लोग धर्मार्थ गतिविधियों में भाग लेते हैं।
गरीबों को भोजन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
लोग अपने दोस्तों और परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं, और सर्वशांति के लिए ईश्वर की पूजा करते हैं।
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