मनुष्य के जीवन पर जन्म के साथ ही उसकी भाग्य निर्माण शुरु हो जाता है। और जन्मकुंडली मनुष्य के भविष्य में घटित होने वाली घटनाएं बताती है।आइए जानतें हैं जन्मकुंडली में उच्च सफलता के योग कैसे बनते हैं, और इसके लिए क्या करना चाहिए :-
मनुष्य के जीवन की सफलताएं उसकी जन्मकुंडली की आधार पर निर्धारित होती है। जिसमें शिक्षा, जॉब, लगन व अन्य शामिल होती हैं।
- जन्मकुंडली के दसवें स्थान एवं छठे भाव में जॉब के योग बनते हैं। यदि मनुष्य के जीवन में सरकारी नौकरी का योग बनता है तो इसका आकलन जन्मकुंडली के दसवें स्थान और छठे भाव में देखा जाता है। इस स्थान पर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति की दृष्टि यदि पड़ती है तो सरकारी नौकरी का जो प्रबल हो जाता है। लेकिन दसवें स्थान के छठे भाव के सूर्य, मंगल ब्रहस्पति पर किसी पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) की दृष्टि पड़ती है तो मनुष्य को संघर्ष और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए आवश्यक है जातक अशुभ ग्रह के प्रकोप से बचा रहे।
- जातक की जंग कुंडली में यदि लगन का शुभ अवसर में मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला है तो ऐसे में शनि ग्रह और गुरु (वृहस्पति) का एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होना एक शुभ संकेत है।
- जन्मकुंडली में सरकारी नौकरी का संजोग चन्द्रमा, ब्रहस्पति एक साथ होने से भी बनता है।वहीं इसी तरह चन्द्रमा और मंगल भी अगर केन्द्रस्थ हैं तो सरकारी नौकरी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- जातक की जंग कुंडली में दसवें घर के बदलाव अथवा एक या उससे अधिक किसी शुभ ग्रह का जब प्रभाव पड़ता है, तो उससे जीवन में लक्ष्य प्राप्ति होती है। और करियर के संबंध में बड़ी सफलताएं अर्जित होती हैं। वह ठीक इसके विपरीत दसवें घर एक या एक से अधिक अशुभ ग्रह की कुदृष्टि से जातक जीवन और कैरियर में विफल हो सकता है।
- ज्योतिष शास्त्र में सूर्य तथा चंद्र को राजा या प्रशासन से सम्बंध रखने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है। सूर्य या चंद्र का लग्न, धन, चतुर्थ तथा कर्म से सम्बंध या इनके मालिक के साथ सम्बंध सरकारी नौकरी की स्थिति दर्शाता है। सूर्य का प्रभाव चंद्र की अपेक्षा अधिक होता है।
- सूर्य या चंद्रमा का जातक के लग्न स्थिति में रहना जीवन में प्रभावशाली और यशवान बनाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति नाम और पहचान कमाता है।
- दशम भाव में चंद्र की दृष्टि और संयोग जातक के सरकारी क्षेत्र में वृद्धि करता है। अस्थिर ग्रह और चंद्र चंचल की ग्रह में स्थिति आने से नौकरी मिलने में दिक्कत और मिलने के बाद संघर्ष व स्थान परिवर्तन का सामना करना पड़ सकता है।
- धन स्थान पर सूर्य के स्थित होने अथवा दशमेश का योग बनने पर जातक को नौकरी मिलती है एवं ऐसे व्यक्ति खुफिया एजेंसी और गुपचुप शांति से कार्य करने वाले होते हैं।
- दशमांश कुंडली के लग्न या दशम स्थान होने और सूर्य तथा चंद्र की स्थिति बनने पर जातक जीवन में बड़े आधे को प्राप्त करता है। और काफी व्यस्तता बनी रहती है।
- मंगल सैनिक, या उच्च अधिकारी, बुध बैंक या इंश्योरेंस, गुरु- शिक्षा सम्बंधी, शुक्र वित्तीय सम्बंधी और शनि अनेक विभागो में जोड़ने वाला प्रभाव रखता है।
- दशम भाव में मकर राशि में मंगल होने या मंगल अपनी राशि में बलवान होकर प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम या दशम में स्थित हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है ।
- चंद्र केंद्र में बली होने से सरकारी नौकरी का योग बनाता है ।
- यदि सूर्य बलवान होकर दशम में स्थित हो या सूर्य की दृष्टि दशम पर हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।
- सुर्य चंद्रमा व बृहस्पति एक साथ स्थिति बनने पर सरकारी नौकरी में उच्च पदाधिकारी बनाता है।
- दसवें भाव में शुभ ग्रह के होने से अथवा कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चंद्र के होने से जातक के जीवन में सरकारी नौकरी स्थिति बनी रहती है।
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