अक्षय तृतीया होती है बेहद शुभ और फलदायी, जानें इस तिथि से जुड़ी 9 खास बातें.
अक्षय तृतीया से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण कथाएं एवं किंवदंती प्रचलित हैं जो इस त्यौहार के महत्व की प्रमाणिकता को बहुत सार्थक रुप से प्रकट करते हैं.अक्षय तृतीया का त्योहार हिंदुओं और जैनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसा माना जाता है ये दिन फलदायी परिणाम प्रदान करता है. इस समय दिन और रात में, सूर्य और चंद्रमा अपने सबसे अच्छे स्वरूप में होते हैं, जिसे ज्योतिषीय रूप से एक शुभ अवसर माना जाता है.
अक्षय तृतीया धार्मिक महत्व
1. यह भगवान विष्णु के दस दशावतार में से एक भगवान परशुराम का जन्मोत्सव के रुप में विशेष स्थन रखता है. विष्णु के छठे अवतार थे तथा पापियों के संहार करने हेतु पृथ्वी पर अवतार लेते हैं.
2. यह सतयुग के बाद त्रेता युग का आरंभिक दिन है. इस दिन पर एक युग के आरंभ होने के समय का भी विशेष महत्व रहा है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
3. यह वह दिन है जब सुदामा ने भगवान कृष्ण को अवल अर्पित किया, जिन्होंने बदले में उन्हें भरपूर धन और खुशी का आशीर्वाद दिया. कथा के अनुसार, श्री कृष्ण के गरीब ब्राह्मण मित्र, सुदामा, मुट्ठी भर चपटे चावल लेकर उनके महल में आए. सुदामा ने बचपन में श्री कृष्ण के हिस्से का भोजन खाया था इसलिए, वह भोजन का अपना हिस्सा वापस करना चाहते थे. श्री कृष्ण ने पूरे मन से विनम्र भेंट स्वीकार की और चुपचाप अपने मित्र पर भाग्य बरसा दिया. परिणामस्वरूप, सुदामा के कष्ट समाप्त हो गए और वे एक धनी व्यक्ति बन गए. यह घटना तृतीया तिथि, वैशाख, शुक्ल पक्ष को हुई और इसलिए इसका महत्व है.
4. भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था. कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने द्रौपदी और पांडवों को ऋषि दुर्वासा के क्रोध से बचाने हेतु उनके खाली भोजन के बर्तन को अक्षय पात्र में बदल कर उनकी सहायता की थी. कहते हैं कि ऋषि दुर्वासा ने द्रौपदी के निवास पर भोजन करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन पांडवों के पास उन्हें देने के लिए भोजन नहीं था इसलिए, जब श्री कृष्ण को इसके बारे में पता चला, तो उन्होंने उसे और पांडवों को ऋषि के क्रोध से बचाया और उनके मान सम्मान को को विस्तार प्रदान किया.
5.अक्षय तृतीया के दिन की पूजा जैन धर्म में विशेष मानी जाती है क्योंकि ऐसा कहा जाता है. जैन मत में को भोजन तैयार करने और परोसने के लिए सबसे पहले "आहार चर्या" एक पद्धति की स्थापना की गई थी. भगवान ऋषभदेव ने छह महीने तक बिना भोजन और पानी के ध्यान किया. गन्ने के रस का सेवन करके ऋषभदेव ने 400 दिनों के अपने उपवास को तोड़ा और इस दिन का समय अक्षय तृतीया का समय था.
6. पवित्र गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं. लोककथा के अनुसार, गंगा नदी राजा भगीरथ के कहने पर उनके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है.
7. इस दिन पुरी जगन्नाथ में वार्षिक रथ यात्रा शुरू होती है.
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8. वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत लिखना शुरू किया.
9. अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर यमुनोत्री मंदिर और गंगोत्री मंदिर खोले जाते हैं. हिंदुओं के पवित्र धर्म स्थलों की चारधाम यात्रा हेतु यह समय अत्यंत शुभ होता है और इसी समय पर धार्मिक यात्रा का आरंभ होता है.
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