अक्षय तृतीया के दिन घटी थीं ये 10 पौराणिक घटनाएं.
अक्षय तृतीया जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, भारत में विभिन्न रुपों में मनाया जाता है. यह एक अत्यंत पवित्र शुभ दिन होता है इस कारन इस दिन को अबूझ मुहूर्त समय के रुप में भी जाना जाता है. इस दिन को विवाह सगाई, गृह प्रवेश, निर्माण कार्य, कार्य आरंभ इत्यादि शुभ कार्यों में विशेष रुप से किया जाता रहा है.
भारत में हिंदु और जैन मतधारकों को के लिए ये विशेष दिन होता है. यह एक पवित्र दिन है जिस पर किए जाने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. इस दिन आभूषण खरीदना एक परंपरा के रुप में आज भी प्रचलित है, इस त्योहार के इतिहास के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त होती है.
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आईये जाने अक्षय तृतीया से संबंधित 10 महत्वपूर्ण बातें
1.अक्षय तृतीया के दिन श्री गणेश जी ने वेद व्यास के श्रुतलेख के लिए महाकाव्य महाभारत लिखना शुरू किया था.
2. इस दिन को हिंदू त्रिदेवों में संरक्षक के देवता भगवान विष्णु जी का प्रतिबिधित्व प्राप्त होता है.
3 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी.
4. इस दिन पवित्र नदी गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी.
5. अक्षय तृतीया को पारंपरिक रूप से भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का अवतरण होता है.
6. यह दिन सत्ययुग की शुरुआत का भी प्रतीक है चार युगों में से पहला.
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7 - जैन धर्म के अनुयायी अक्षय तृतीया को एक पवित्र और सर्वोच्च शुभ दिन मानते हैं. यह भगवान आदिनाथ के साथ जुड़ा हुआ है, जिन्हें चौबीस तीर्थंकरों में से पहले ऋषभदेव के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जो लोग वर्ष भर वैकल्पिक दिन का उपवास रखते हैं, इस दिन गन्ने का रस पीकर अपनी तपस्या समाप्त करते हैं.
8. इस दिन भगवान नर-नारायण तथा हयग्रीव का अवतार होता है.
9. इसी दिन ब्रह्माजी के मानस पुत्र अक्षय कुमार का जन्म होता है.
10. इसी दिन चारधाम की यात्रा के प्रमुख स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी खुल जाते हैं.
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अक्षय तृतीया दिवस पर भगवान विष्णु का दिन है हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी. अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती, भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती का समय होता है. वैदिक ज्योतिष भी अक्षय तृतीया को सभी अशुभ प्रभावों से मुक्त एक शुभ दिन मानते हैं. ज्योतिष के अनुसार तीन चंद्र दिन युगादि, अक्षय तृतीया और विजय दशमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है.
किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने या करने के लिए किसी मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि ये दिन सभी पापों से मुक्त होते हैं. इस शुभ दिन पर दान देने का बहुत महत्व होता है जिसे अत्यंत पवित्र कहा गया है, जो कई गुना परिणाम देता है. इस दिन कई प्रकार के दान दिए जा सकते हैं. इस दिन घड़ा(कुम्भ) दान देने को विशेष महत्व दिया जाता है, इस शुभ दिन ब्राह्मण को तांबे, चांदी, या कम से कम मिट्टी के बर्तन से बना हुआ बर्तन जिसमें पानी को भरकर एक नए कपड़े से ढककर दान करना पवित्र और शुभदायक होता है.
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