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अक्षय तृतीया पर पढ़ें यह कथा, जानें हर जन्म में कैसे बनता है राजयोग
अक्षय तृतीया का पर्व को अखा-आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन की महत्ता बहुत अधिक मानी गई है. पौराणिक कथाओं के अनुसर इस दिन किया जाने वाला दान पुण्य का कार्य अक्षय होता है इसक अनाश नहीम होता है और जन्मों जन्मों तक इस पुण्य कर्म का संबंध हमसे जुड़ता चला जाता है. इस दिन किए जाने वाले शुभ धार्मिक कृत्य इस जन्म को ही नहीं अपितु आने वाले जन्मों को भी शुद्ध एवं पवित्र कर देने वाले होते हैं.
व्यक्ति अपने आने वाले जन्मों में राजयोग का आशिर्वाद भी प्राप्त कर सकता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य या दान भक्तों को महान पुण्य प्रदान करता है. अक्षय का अर्थ है कुछ ऐसा जो कभी समाप्त नहीं होता. इस दिन को स्वयं सिद्ध तिथि भी कहा जाता है. कई लोग अक्षय तृतीया पर भगवान शिव और भगवान विष्णु की दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के शुभ कार्य करते हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
जानिए अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा
प्रत्येक जन्म में अपने लिए राजयोग का शुभफल पाने हेतु अक्षय तृतीया के दिन कथा का श्रवण करना भी अत्यंत शुभ होता है. अक्षय तृतीया व्रत कथा के अनुसार प्राचीन काल में धर्मदास नामक एक व्यापारी रहता था. जब उसे व्यापार में घाटा होने लगा, तो किसी ने सुझाव दिया कि उन्हें अक्षय तृतीया का व्रत करना चाहिए, त्रिदेव की पूजा करनी चाहिए और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए. जब अक्षय तृतीया का त्योहार आया, तो धर्मदास ने पूरी भक्ति के साथ उपवास रखा.उन्होंने भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा की पूजा की और पवित्र नदी में स्नान भी किया. इस दिन पर भूखे-प्यासे रहकर पूरे समर्पण के साथ उपवास किया और शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा की, उसने गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन का भी दान किया. इस शुद्ध हृदय दान से उसे भगवान का आशीर्वाद मिला और उसने जो दान किया था, उसके बदले में उसे कई गुणा उसका लाभ मिला, उसके बाद उसने अक्षय तृतीया पर जीवन भर उपवास एवं पूजन किया जिसका फल उसे अपने अगले जन्म में भी प्राप्त हुआ ओर उसने राजयोग पाया है. वह एक राजा के रूप में जन्मा ओर अपने हर जन्म का भोग सुख समृद्धि से किया.
साल 2022 में अक्षय तृतीया 3 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी
तृतीया तिथि शुरू - 3 मई 2022, सुबह 5.18 बजे
तृतीया तिथि समाप्त - 4 मई 2022, सुबह 7.32 बजे
अक्षय तृतीया पर पूजन का शुभ मुहूर्त- प्रातः 5.39 बजे से दोपहर 12.49 बजे तक
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अक्षय तृतीया का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार अक्षय तृतीया एक ऐसा दिन है जिस दिन पूर्व में कई शुभ कार्य हुए हैं. माना जाता है कि गंगा का अवतरण अक्षय तृतीया के दिन ही पृथ्वी पर हुआ था. अक्षय तृतीया सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत का दिन भी था. बद्रीनाथ क्षेत्र में घोर तपस्या करने वाले भगवान नर-नारायण का अवतार भी अक्षय तृतीया को हुआ था, इसलिए इस दिन बद्रीनाथ के कपाट छ: महीने बाद खुलते हैं.
भगवान परशुराम की जयंती भी अक्षय तृतीया को ही पड़ती है इसलिए, इस शुभ दिन में बहुत सारा पौराणिक इतिहास है. इस तथ्यों से भी ज्ञात होता है की अक्षय तृतीया में किया गया धर्म कर्म प्रत्येक जन्मों को राजयोग से भर देता है.