सत्यनारायण पूजा के शुभ फल :
कार्तिक पूर्णिमा का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा व्रत का पालन करने वाले भक्त भगवान विष्णु का आशीर्वाद अपार सौभाग्य के साथ अर्जित करते है। धार्मिक आयोजन और आध्यात्मिक तपस्या करने के लिए कार्तिक पूर्णिमा को सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है।इस दिन सत्यनारायण भगवान का पूजन करना, दान कार्य करना और गाय का दान करना भक्त को असीम आनंद और खुशी प्रदान करता। कार्तिक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा बहुत ही मंगलकारी और धनदायक मानी जाती है। यह भी माना जाता है कि कार्तिक माह के दौरान ब्राह्मण भोज अनुष्ठान 100 अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त कराता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। जिसके कारण जो कोई भी इस दिन उनका पूजन करता है उसकी समस्त कामनाएं पूर्ण हो जाती है।
हमारी सेवाएँ :
अनुष्ठान से पहले हमारे युगान्तरित पंडित जी द्वारा फ़ोन पर आपको संकल्प करवाया जाएगा। तथा पंडित जी द्वारा पूर्ण विधि -विधान से पूजन संपन्न किया जाएगा।
पूजा के समय हमारे द्वारा वीडियो लाइव टेलीकास्ट पर दिखाया जाएगा।
सत्यनारायण व्रत एक हिंदू धार्मिक अनुष्ठान है। यह किसी भी प्रमुख अवसर पर भक्तों द्वारा किया जाने वाला एक अनुष्ठान है जैसे शादी, घर में पूजा समारोह आदि। यह किसी भी दिन किसी भी कारण से किया जा सकता है। इसका उल्लेख सबसे पहले स्कंद पुराण में मिलता है। सत्यनारायण पूजा आमतौर पर हर महीने की पूर्णिमा पर विशेष फलदायी होता हैं। कहा जाता है की देवताओं का माह यानी की कार्तिक माह में यह करने से समस्त सुख की प्राप्ति होती है। यह विशेष अवसरों पर भी किया जाता है और उपलब्धियों के दौरान भगवान विष्णु के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। यह पूजन संतान सुख प्राप्ति का अचूक मार्ग माना जाता है।
गुजरात, बंगाल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित भारत के कई हिस्सों में श्री सत्यनारायण पूजा एक बहुत लोकप्रिय अनुष्ठान है। महाराष्ट्र में, सत्यनारायण पूजा एकादशी या चतुर्थी पर की जाती है। महाराष्ट्र के चितपावन समुदाय के लिए इस पूजा का विशेष महत्व है। पश्चिम बंगाल में, लोग घर पूजा समारोह से पहले इस पूजा को करते हैं। पूरे आंध्र प्रदेश में लगभग सभी हिंदुओं में विष्णु के अवतार श्री नारायण के प्रति दृढ़ विश्वास और भक्ति है। आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के अन्नवरम में श्री सत्यनारायण स्वामी के लिए एक बहुत प्राचीन मंदिर है (विशाखापत्तनम के पास)। अन्नवरम में यह अनुष्ठान प्रतिदिन किया जाता है। बड़ी संख्या में भक्त, कई परिवार, मंदिर में आते हैं, प्रार्थना करते हैं और इस कथा का पाठ मंदिर में ही संपन्न करते है।
सत्यनारायण पूजा भगवान विष्णु के नारायण रूप के प्रति श्रद्धा से की जाती है। इस रूप में भगवान को सत्य का अवतार माना जाता है। यह पूजा लोगों के जीवन में प्रचुरता सुनिश्चित करने के लिए आयोजित की जाती है। कई लोग इस पूजा को विवाह के शुभ अवसर पर या किसी नए घर में जाने या जीवन में किसी अन्य सफलता प्राप्ति के तुरंत बाद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस समारोह की शुरुआत बंगाल में सत्य पीर के रूप में हुई थी और बाद में इसे सत्यनारायण पूजा में बदल दिया गया। सत्यनारायण पूजा किसी भी दिन की जा सकती है। यह किसी भी उत्सव तक सीमित पूजा नहीं है। लेकिन पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) या संक्रांति इस पूजा के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस पूजा को शाम के समय करना अधिक उचित माना जाता है। हालाँकि इसे सुबह के समय भी कर सकते हैं।
सत्यनारायण भगवान की कथा से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। कार्य बाधा एवं परेशानियों से छुटकारा मिलता है। सभी प्रकार के क्षेत्रों में सफलता मिलती है और सभी दुःख दूर हो जातें है। यदि आपकी भी कोई इच्छा है जिसकी पूर्ति की कामना आप चाहते है तो कार्तिक पूर्णिमा पर यह पूजन अवश्य कराएं आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।
सत्यनारायण की कथा कब करनी चाहिए?
सत्यनारायण कथा का पाठ किसी भी शुभ दिन या कार्य की पूर्ति पर किया जा सकता है। यह पाठ विशेषकर पूर्णिमा तिथि पर किया जाना बहुत ही शुभ माना जाता है। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि बहुत ही कल्याणकारी होती है जिसके कारण इस दिन संपन्न किया गया पूजन शुभफलदायी माना जाता है।
सत्यनारायण भगवान की पूजा ऑनलाइन कैसे होती है?
ऑनलाइन सत्यनारायण भगवान की पूजा कराने के लिए Myjyotish.com की वेबसाइट पर विजिट करके पूजा सेलेक्ट करें। उसके बाद लिखित राशि का भुगतान करें। पूजा बुक होने के बाद हमारी टीम द्वारा आपको पूजा की सारी जानकारी प्रदान की जाएगी।
ब्राह्मण भोज का अर्थ क्या है?
ब्राह्मण भोज का अर्थ है ब्राह्मणों को विधि - विधान पूजन के पश्चात खाना खिलाना। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में पूजा की बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना आवश्यक और शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों को ईश्वर का स्वरुप माना गया है जिसके कारण उनको भोजन अर्पण करने का अर्थ है ईश्वर को भोग लगाना।
क्या है कार्तिक पूर्णिमा का महत्व?
कार्तिक पूर्णिमा, भगवान विष्णु के मत्स्य - अवतार का जन्मदिन भी है। यह वृंदा और शिव - पुत्र कार्तिकेय का जन्मदिन भी है। यह दिन कृष्ण और राधा के लिए भी खास माना जाता है।
मैं ऑनलाइन पूजा सेवा बुकिंग के लिए My Jyotish को क्यों चुनूं?
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