खास बातें
Parshuram Jayanti 2024: भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को लिया था। परशुराम जयंती, जिसे वीर परशुराम जयंती और जमदग्नि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष, परशुराम जयंती 10 मई 2024 को पड़ रही है।
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Parshuram Jayanti 2024: भगवान विष्णु ने अब तक धरती पर 23 अवतार लिए हैं और अभी उनका 24वां अवतार यानी कल्कि अवतार होना बाकी है। इन्हीं अवतारों में से छठवां अवतार भगवान परशुराम जी का है। भगवान विष्णु ने यह अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को लिया था। परशुराम जयंती, जिसे वीर परशुराम जयंती और जमदग्नि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष, परशुराम जयंती 10 मई 2024 को पड़ रही है। भगवान ने यह सभी अवतार बढ़ते अधर्म औरअत्याचार को रोकने के लिए ही लिए थे। इसी को लेकर भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय, अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा था, "यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्"। अर्थात्, जब-जब धरती पर धर्म का ग्लानि होगी, तब-तब वह धर्म की रक्षा के लिए वह धरती पर अवतार लेंगे। भगवान ने परशुराम अवतार भी धर्म की रक्षा के लिए ही लिया था और वह आठ चिरंजीवियों में एक हैं।
भगवान ने परशुराम अवतार कब और क्यों लिया
भगवान परशुराम का अवतार धरती पर बढ़ते हुए अधर्म और अत्याचार का नाश करने के लिए हुआ था। उन्होंने वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के पुत्र में जन्म लिया। उस समय, क्षत्रिय अत्यंत शक्तिशाली हो गए थे और वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे थे। वे निर्दोष लोगों का शोषण कर रहे थे और ब्राह्मणों और ऋषियों को परेशान कर रहे थे। भगवान विष्णु ने धरती पर शांति स्थापित करने के लिए परशुराम का अवतार लिया। जिसके बाद, कहा जाता है कि 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया।
परशुराम जयंती का महत्व
परशुराम जयंती हमें सत्य, न्याय और दया के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह दिन हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अधर्म का विरोध करना चाहिए और निर्दोषों की रक्षा करनी चाहिए। भगवान परशुराम बुजुर्गों और गुरुजनों का सम्मान करने का भी प्रतीक हैं। परशुराम जयंती के दिन लोग भगवान परशुराम की पूजा करते हैं। घरों और मंदिरों में उनकी प्रतिमा स्थापित कर उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करते हैं। भक्त व्रत भी रखते हैं और भगवान परशुराम की कथाएं सुनते हैं। कुछ लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं। भगवान परशुराम हिन्दू धर्म में एक महान योद्धा और भगवान विष्णु के अवतार हैं। परशुराम जयंती हमें सत्य, न्याय और दया के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
भगवान ने परशुराम अवतार कब और क्यों लिया
भगवान परशुराम का अवतार धरती पर बढ़ते हुए अधर्म और अत्याचार का नाश करने के लिए हुआ था। उन्होंने वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के पुत्र में जन्म लिया। उस समय, क्षत्रिय अत्यंत शक्तिशाली हो गए थे और वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे थे। वे निर्दोष लोगों का शोषण कर रहे थे और ब्राह्मणों और ऋषियों को परेशान कर रहे थे। भगवान विष्णु ने धरती पर शांति स्थापित करने के लिए परशुराम का अवतार लिया। जिसके बाद, कहा जाता है कि 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया।
परशुराम जयंती का महत्व
परशुराम जयंती हमें सत्य, न्याय और दया के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। यह दिन हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अधर्म का विरोध करना चाहिए और निर्दोषों की रक्षा करनी चाहिए। भगवान परशुराम बुजुर्गों और गुरुजनों का सम्मान करने का भी प्रतीक हैं। परशुराम जयंती के दिन लोग भगवान परशुराम की पूजा करते हैं। घरों और मंदिरों में उनकी प्रतिमा स्थापित कर उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करते हैं। भक्त व्रत भी रखते हैं और भगवान परशुराम की कथाएं सुनते हैं। कुछ लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं। भगवान परशुराम हिन्दू धर्म में एक महान योद्धा और भगवान विष्णु के अवतार हैं। परशुराम जयंती हमें सत्य, न्याय और दया के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।