पुरुष सूक्तम् से श्रीविष्णु अभिषेक का फलः
सनातन धर्म के अनुसार, किसी भी व्यक्ति द्वारा उसके पूर्वजों हेतु श्रद्धापूर्वक पिंडदान, शांति भोज, पाठ, श्राद्ध, जाप व दान करना आवश्यक बताया गया है। इनके करने से उसके पितरों को शांति मिलती हैं। जाप या पूजन से देवता, भोजन ग्रहण कर जीव व दान ग्रहण कर ब्राह्मण उसके पूर्वजों के लिए हृदय से आशीर्वाद देते हैं। जिससे उसके पित्र तृप्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर अपनी संतानों को सुख-समृद्धि का वरदान देकर ईश्वर में विलीन हो जाते हैं।
ऋग्वेद के दसवें मंडल में नारायण ऋषि द्वारा सोलह कलाओं से निपुण विराट पुरुष की अभिव्यक्ति की गई है, जिसे पुरुष सूक्तम कहते हैं। इसमें परब्रह्म के स्वरूप, मन, तन, प्राण, चारों अंगों, नेत्र आदि की बातें कही गई हैं। इसे वैदिक ईश्वर का स्वरूप माना जाता है।
ऋग्वेद में वर्णित पुरुष सूक्तम जाप के साथ श्री हरि विष्णु जी का अभिषेक करने का अत्यंत शुभ और लाभप्रद फल बताया गया है। मोक्षदा एकादशी की तिथि को इस जाप के साथ श्री विष्णु अभिषेक से होने वाला प्रमुख लाभ पितरों की तृप्ति बताया गया है। इसे कराने से व्यक्ति के पितरों को निश्चित ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। अधिकांशतः पितरों के तृप्त ना होने कारण कई प्रकार के कष्ट प्राप्त होते हैं। इस अनुष्ठान के उपरांत उसके पूर्वज व पित्र देव पूरे परिवार को कष्टों को हर लेते हैं और सुख व समृद्धि में वृद्धि करते हैं।
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लाभ प्राप्ति हेतु विद्वान पण्डित द्वारा पुरुष सूक्तम पाठ के साथ विष्णु जी का अभिषेक मोक्षदा एकादशी के दिन महाकाल की नगरी उज्जैन में शिप्रा घाट पर पूरे विधि-विधान से सम्पन्न किया जाएगा।
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