धन हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा (important part of life) होता है। लेकिन कई बार इस का अधिक इस्तेमाल हमें मुश्किल में डाल सकता है। हमेशा याद रखना चाहिए, अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो अपने खर्चों को कम करना पड़ेगा और बचत बढ़ानी पड़ेगी। जिस प्रकार सब्जी में नमक की मात्रा ज्यादा हो जाने से वह बेस्वाद tasteless हो जाती है, उसी प्रकार हमें रुपए का सही जगह बचत savings करना जरूरी होता है। कुछ लोग अपने ऐशो आराम के इतने दीवाने हो जाते हैं , मानो लक्ष्मी जी हमेशा उनके साथ ही रहेंगी। हमेशा से एक कहावत रही है - 'व्यक्ति के जीवन में अच्छे दिन भी आते हैं और बुरे भी। ' बुरे समय के लिए हमें हमेशा सतर्क रहना पड़ता है । बुद्धिमान व्यक्ति intelligent person हमेशा से अपनी तनख्वाह से थोड़ा-थोड़ा करके बचत अवश्य करता है। एक बचत ही तो है जो बुरे वक्त में व्यक्ति को किसी और के आगे हाथ फैलाने नहीं देती। वरना तो उनकी सारी कमाई लोगों का कर्ज चुकाने में ही निकल जाए। ऐसे लोग हमेशा ही कुछ ना कुछ आर्थिक समस्याओं से घिरे रहते हैं और अपने भविष्य के खर्चों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। सबको इंतजार होता है महीने के पहले हफ्ते का। इस हफ्ते में सबको अपनी मेहनत मुताबिक तनख्वाह दी जाती है, जिसका वे बेसब्री से इंतजार करते हैं । कुछ इन रुपए से अपने बच्चों और घर खर्च की जरूरतें पूरी करते है और अपने परिवार की खुशी के लिए बाहर होटल में खाना भी खाने जाते हैं और वही कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी तनख्वाह को बेवजह unnecessary ऐसोआराम मे भी उड़ा देते हैं। ऐसे लोग लापरवाह careless श्रेणी में आते हैं। इन्हें पैसे बचाने में कोई दिलचस्पी not intersted in savings नहीं रहती। इन लोगों को आगे चलकर बहुत सी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है कहावत है ना 'अब पछताए होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत। '
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