श्रावण माह की पूर्णिमा को चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है अर्थात इस दिन उपासना करने से जातको को चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन दान, पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। मतलब इस दिन स्नान के बाद गाय को चारा खिलाना, चींटी, मछलियों आदि को दाना खिलाना। इस पवित्र दिन में गोदान का बहुत महत्व होता है।श्रावणी माह के इस पर्व के दिन जनेऊ पहनने वाले हर धर्मावलंबी मन, वचन एंव कर्म से पवित्रता का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं तथा ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान देकर भोजन प्रदान किया जाता है। पूर्णिमा को भगवान विष्णु तथा मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है मान्यताओं के अनुसार इस दिन विष्णु-लक्ष्मी के दर्शन से सुख, धन एंव समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पवित्र दिन पर भगवान शिव, विष्णु, महालक्ष्मी एंव हनुमान जी को रक्षासूत्र अर्पित करना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर ही श्री अमरनाथ की पवित्र छडी यात्रा का शुभारंभ होती है तथा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है। कावडियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा को ही शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है एंव उनकी कावड़ यात्रा भी इसी दिन संपन्न होती है। इस दिन शिव पूजन का बहुत महत्व है। पवित्रोपना के अंतर्गत रूई की बत्तियां पंचगव्य में डुबाकर शिव शंभू को अर्पित की जाती हैं। जैसा कि हम सबको पता है श्रावण माह में कुछ खास दिन होते हैं जैसे सावन सोमवार, हरियाली तीज, श्रावण मास की अमावस्या। उसी प्रकार श्रावण मास की पूर्णिमा का भी विशेष महत्व है। इस पवित्र दिन में विशेष रूप से यह 6 कार्य किए जाते हैं:-
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