शनि की ढैय्या और महादशा
जन्म चंद्र से जब गोचर का शनि चौथे या फिर आठवें भाग में गोचर करता है तब शनि की ढैय्या शुरू होती है। शनि ढैय्या के अशुभ प्रभाव से बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं। इस दौरान जातक को ज्यादा सर्तक रहने की जरूरत पड़ती है। जातक को बार-बार लोहे से चोट लगना, बुरी आदतों का लग जाना, कर्ज में डूबना, बनते काम बिगड़ जाना कुंडली में शनि के ढैय्या लगने के संकेत हो सकते हैं।
शनि को ज्योतिषशास्त्र में कर्म का फल देने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। मनुष्य के अच्छे-बुरे सभी कर्मो का फल शनि देव देते हैं। शनि की महादशा बहुत ही प्रभावी मानी जाती है। शनि की महादशा का जातक पर शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव पड़ता है।
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