ग्रहों में युवराज कहे जाने वाले बुध 23 जून की प्रातः 3 बजकर 27 मिनट पर वृषभ राशि में गोचर करते हुए मार्गी हो रहे हैं। इससे पहले ये 26 मई को मिथुन राशि में प्रवेश किए थे और 30 मई को वक्री होकर पुनः 3 जून को वृषभ राशि में प्रवेश कर गए थे। इसी राशि पर मार्गी अवस्था में ये 7 जुलाई को दोपहर 11 बजकर 2 मिनट तक विचरण करेंगे उसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश जाएंगे जहां 25 जुलाई को 11 बजकर 38 मिनट तक भ्रमण करेंगे, उसके बाद कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध को ज्योतिष शास्त्र में काफी अहम माना जाता है। बुद्ध की कृपा से ही जातक विद्वान होता है, उसकी तर्क क्षमता मजबूत होती है, संचार कौशल में बेहतर होता है। बुध कन्या राशि में उच्च के तो मीन राशि में नीच के माने जाते हैं। सूर्य, शुक्र और राहू के साथ ये मित्रता रखते हैं तो चंद्रमा को ये अपना शत्रु मानते हैं। शनि, मंगल, बृहस्पति और केतु के साथ इनका संबंध तटस्थ है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार बुध चंद्रमा व बृहस्पति की पत्नी तारा की संतान माने जाते हैं। इसलिये इनमें चंद्रमा व बृहस्पति की विशेषताएं भी पायी जाती हैं। ये बुद्धि, वाणी, शिक्षा, शिक्षण, गणित, तर्क, यांत्रिकी, ज्योतिष, लेखाकार, आयुर्वेद, लेखन, प्रकाशन, रंगमंच, एवं निजी व्यवसाय आदि के कारक माने जाते हैं। मातृपक्ष के सगे-संबंधियों का प्रतिनिधित्व भी बुध करते हैं। साथ ही बुध मस्तिष्क, जिह्वा, स्नायु तंत्र, कंठ-ग्रंथी, त्वचा, गर्दन आदि के भी प्रतिनिधि हैं।
बुध के नकारात्मक प्रभावों से स्मरण शक्ति का क्षय, सिर दर्द, त्वचा आदि के रोग उत्पन्न होते हैं। इनके मार्गी होने का सभी राशियों पर कैसा प्रभाव रहेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
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