ज्योतिष के जानकारों की मानें तो श्राद्ध की तिथि में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया हैं , विद्वानों के अनुसार पूर्णिमा के श्राद्ध को ऋषि तर्पण भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता हैं कि भाद्रपद की पूर्णिमा को ही मंत्रदृष्टा ऋषि मुनि अगस्त्य का तर्पण किया जाता है। इन्होंने ऋषि मुनियों की रक्षा के लिए समुद्र के जल को पी लिया था तथा दो असुरों का भी नाश किया था , इसके बाद से ही ऋषि के सम्मान में श्राद्धपक्ष की पूर्णिमा तिथि को इनका तर्पण करके ही पितृपक्ष की शुरुआत की जाती है।
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