हमने अक्सर कहते सुना होगा कि किसी के घर में पितु दोस्त से ही होने वाली समस्याएं हो रही हैं हमारे हिंदू धर्म के अनुसार हर साल श्राद्ध के दिनों में लोग अपने स्वर्ग सिधारे पूर्वजों को भोजन करा कर पूजा करते हैं ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से जो भी मरे हुए व्यक्ति परेशान करते हैं वह परेशान करना बंद कर देते हैं | इसी तरह पित्र दोष के लिए दिन होता है | इस पितु अमावस्या 6 अक्टूबर 2021 को है | ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में पितु अमावस्या का अत्यधिक महत्व है | और इस दिन श्रद्ध का अंतिम दिन भी है | और हमारे शास्त्रों में अश्वनी माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मोक्ष दायिनी अमावस्या भी कहा जाता है | और पितु विसर्जनीय अमावस्या भी कहा जाता है | और ऐसी मान्यता है कि इस दिन मृत्यु लोक से आए हुए सभी पितु जन मित्र लोग को वापस लौट जाते हैं | ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने पितरों को श्रद्धा एवं पूरे भाव से नमन करके विदा करता है उनके पित्र उनके जीवन में खुशियां भर देते हैं | उनको किसी भी चीज की कमी नहीं रहने देते हैं | और जिनके भी पित्र खुश होते हैं उन्हीं के घर में मांगलिक कार्य पूर्ण हो पाते हैं एवं पुत्र सुख की प्राप्ति होती है | आज हमारे शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन मनुष्य की जन्म कुंडली में बने पितु दोष एवं मातु दोष से मुक्ति दिलाने के साथ हीं तर्पण, पिंड दान, श्राद्ध के लिए फलदाई मानी जाती है | एवं हमारे शास्त्रों में इस दिन को " सर्वपितु श्रद्ध " भी कहा जाता है |
शनि त्रयोदशी पर कोकिलावन शनि धाम में कराएं शनि देव का पूजन, पाएं कष्टों से मुक्ति
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि यदि आप भी पितु दोष से प्रभावित है तो आपको किन विधियों से इसको समाप्त कर सकते हैं | एवं अपने घर में खुशहाली ला सकते हैं | यदि आप भी ऐसा करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए अत्यधिक लाभकारी है |
विधि -
अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठना और बिना साबुन लगाएं नहाए | और उसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने | पितरों के तर्पण में अलग-अलग तरह के एवं सात्विक पकवान को बनाये एवं उसके पश्चात ही उनका श्राद्ध करें | और सरसों के तेल के दीपक को जलाकर उसमें से चार दीपक अपने घर की चौखट पर रख दें | एवं एक दीपक लेकर और लोटे में जल लेकर अपने पितरों से प्रार्थना करें घर में आए पित्र पक्ष को समाप्त हो गया है | और इसीलिए वह परिवार के सदस्यों को अपना आशीर्वाद देकर वापस चले जाएं | इसके बाद दीपक एवं जन्म लेकर पीपल के पेड़ के पास जाएं और विष्णु भगवान को याद करते हुए दीपक पेड़ के नीचे रख दे एवं जल चढ़ा दे | जल चढ़ाते वक्त पितरों से आशीर्वाद की कामना करें | और पितू विसर्जन के दौरान किसी भी सदस्य से बात ना करें|
मुहूर्त -
अमावस्या तिथि 5 अक्टूबर को शाम 7:04 से शुरू होकर 6 अक्टूबर को दोपहर 4:34 पर समाप्त होंगी |
महत्व -
इस दिन को लेकर शास्त्रों में कहानियां भी सुनने को मिलती है | शास्त्रों के अनुसार इस दिन का बहुत महत्व है | क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यदि हमारे पितृ खुश है तो हमारे जीवन में किसी भी तरह का दुख या संकट नहीं होता है | इसीलिए सभी इस दिन को बहुत ही पूरे विधि विधान से करते हैं ताकि उनके पितृ उनके जीवन के सभी दुख एवं संकट अपने साथ अपने लोक में वापस ले जाएं |
माँ ललिता धन, ऐश्वर्य व् भोग की देवी हैं - करायें ललिता सहस्त्रनाम स्तोत्र, फ्री, अभी रजिस्टर करें
विवाह को लेकर हो रही है चिंता ? जानें आपकी लव मैरिज होगी या अरेंज, बस एक फ़ोन कॉल पर - अभी बात करें FREE
आपके स्वभाव से लेकर भविष्य तक का हाल बताएगी आपकी जन्म कुंडली, देखिए यहाँ