कौवे को पितृपक्ष में भोजन कराने की बात विष्णु पुराण में कही है। कौवे को पूर्वजों का प्रतीक माना जाता है इसलिए उन्हें भोजन कराया जाता है।पिंड का अर्थ गोल दान का अर्थ किसी वस्तु का दूसरों को उपयोग के लिए दिया जाने वाला दान होता है। पिंडदान मुख्यता अपने पूर्वजों की मुक्ति हेतु किया जाता है इसलिए से पिंडदान कहते हैं। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान का काफी महत्व माना जाता है। पिण्डदान नदी के तट पर किया जाता है और दक्षिण की तरफ मुंह करके और जनेऊ को दाए कंधे पर रखकर चावल, गाय के दूध, घी, शक्कर और शहद को मिलाकर तैयार किए गए पिंडों का श्राद्ध भाव के साथ अपने पितरों को अर्पित किया जाता है।
पूर्वजों को पानी देकर एवं ब्राह्मणों को भोजन कराने से हमारे पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं। हमारे पूर्वजों को भोजन की प्राप्ति होती है। जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। तर्पण करने से बड़ी-बड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं एवं भविष्य काल में जीवन में आने वाली बिडंबनाएं दूर होती हैं।अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने हेतु एवं उनके प्रति श्रद्धा बनाए रखने हेतु उनका का तर्पण किया जाता है। जब पितृपक्ष आते हैं तो पितरों के द्वार खुल जाते हैं एवं उनकी दृष्टि परिवार पर पड़ जाती है।
इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021