हिंदू धर्म में पितृपक्ष में पितरों का पिंडदान का एक विशेष महत्व बताया गया है। इस बार
पितृपक्ष 21 सितंबर से यानि कल से हीं शुरू हो चुके हैं और 6 अक्टूबर तक चलेंगा। इस दिन में वैदिक मान्यता है कि इस दिन पितर यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के आसपास विचरण करते हैं। श्राद्ध कर्म करने से पितरों की तृप्ति के लिए भोजन करवाया जाता है, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके और वह सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दे सकें। शास्त्रों में पितरों को भी देवताओं की तरह समर्थवान माना गया है। पितर भी देवताओं की तरह आशीर्वाद देते हैं, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और नाराज भी होते हैं, जिससे जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस पवित्र पक्ष में कुछ ऐसे कार्य हैं, जिनको नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पितरों की आत्मा नाराज हो जाती हैं। पुराणों के अनुसार, पितृप
के अनुष्ठानों के दौरान कोई भी गलती पूर्वजों को नाराज कर सकती है जो पितृ दोष का कारण बन सकती है. इसलिए इस दौरान ऐसे कामों से बचने की सलाह दी जाती है.। शराब और मांस का सेवन ना करें- पितृपक्ष का समय पूर्वजों को समर्पित है, इसलिए इस अवधि में शराब या मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए.
इस पितृ पक्ष, 15 दिवसीय शक्ति समय में गया में अर्पित करें नित्य तर्पण, पितरों के आशीर्वाद से बदलेगी किस्मत : 20 सितम्बर - 6 अक्टूबर 2021