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जानिए क्या होता है पितृदोष और उसके निवारण के लिए ये ज़रूरी उपाय

sonam Rathore my jyotish expert Updated Wed, 22 Sep 2021 02:20 PM IST
shradh 2021
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विभिन्न ऋण और पितृ दोष

हमारे ऊपर मुख्य रूप से 5 ऋण होते हैं, जिनका कर्म न करने (ऋण न चुकाने पर) हमें निश्चित रूप से श्राप मिलता है. ये ऋण हैं- मातृ ऋण, पितृ ऋण, मनुष्य ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण.

मातृ ऋण

माता एवं माता पक्ष के सभी लोग जिनमें मामा, मामी, नाना, नानी, मौसा, मौसी और इनकी तीन पीढ़ी के पूर्वज होते हैं. क्योंकि मां का स्थान परमात्मा से भी ऊंचा माना गया है, अतः यदि माता के प्रति कोई गलत शब्द बोलता है अथवा माता के पक्ष को कोई कष्ट देता रहता है. इसके फलस्वरूप उसको नाना प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं. इतना ही नहीं, इसके बाद भी कलह और कष्टों का दौर भी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है.

पितृ ऋण

पिता पक्ष के लोगों जैसे बाबा, ताऊ, चाचा, दादा-दादी और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का श्राप हमारे जीवन को प्रभावित करता है. पिता हमें आकाश की तरह छत्रछाया देते हैं. हमारा जिंदगी भर पालन-पोषण करते हैं और अंतिम समय तक हमारे सारे दुखों को खुद झेलते रहते हैं. लेकिन आज के इस भौतिक युग में पिता का सम्मान क्या नई पीढ़ी कर रही है? पितृ-भक्ति करना मनुष्य का धर्म है. इस धर्म का पालन न करने पर उनका श्राप नई पीढ़ी को झेलना ही पड़ता है. इसमें घर में आर्थिक अभाव, दरिद्रता, संतानहीनता, संतान को विभिन्न प्रकार के कष्ट आना या संतान अपंग रह जाने से जीवन भर कष्ट की प्राप्ति आदि.

देव ऋण
माता-पिता प्रथम देवता हैं, जिसके कारण भगवान गणेश महान बने. इसके बाद हमारे इष्ट भगवान शंकर जी, दुर्गा मां, भगवान विष्णु आदि आते हैं, जिन्हें हमारा कुल मानता आ रहा है. हमारे पूर्वज भी अपने-अपने कुल देवताओं को मानते थे लेकिन नई पीढ़ी ने इन चीजों को मानना बिल्कुल छोड़ दिया है. इसी कारण भगवान, कुलदेवी, कुलदेवता उन्हें नाना प्रकार के कष्ट या श्राप देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं.

ऋषि ऋण

जिस ऋषि के गोत्र में पैदा हुए, वंश वृद्धि की, उन ऋषियों का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने में नई पीढ़ी कतराती है. उनके ऋषि तर्पण आदि नहीं करती है. इस कारण उनके घरों में कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. इसलिए उनका श्राप पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त होता रहता है.

मनुष्य ऋण

माता-पिता के अतिरिक्त जिन अन्य मनुष्यों ने हमें प्यार दिया, दुलार दिया, हमारा खयाल रखा, समय-समय पर मदद की. गाय आदि पशुओं का दूध पिया, जिन मनुष्यों, पशुओं, पक्षियों ने हमारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की, उनका ऋण भी हमारे ऊपर हो गया. लेकिन लोग आजकल गरीब, बेबस, लाचार लोगों की धन संपत्ति हरण करके अपने को ज्यादा गौरवान्वित महसूस करते हैं. इसी कारण देखने में आया है कि ऐसे लोगों का पूरा परिवार जीवन भर नहीं बस पाता है. वंश हीनता, संतानों का गलत संगति में पड़ जाना, परिवार के सदस्यों का आपस में सामंजस्य न बन पाना, परिवार के सदस्यों का किसी असाध्य रोग से ग्रस्त रहना इत्यादि दोष उस परिवार में उत्पन्न हो जाता है.
ऐसे परिवार को पितृ दोष युक्त या शापित परिवार कहा जाता है. रामायण में श्रवण कुमार के माता-पिता के श्राप के कारण दशरथ के परिवार को हमेशा कष्ट झेलना पड़ा. ये जग-जाहिर है, इसलिए परिवार कि सर्वोन्नती के पितृ दोषों का निवारण करना बहुत आवश्यक है.



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